एल.सी वालिया, लोहारू: नवरात्र पर्व पर उपमंडल के गांव पहाड़ी स्थित प्रसिद्व पहाड़ी माता मन्दिर में आज से माता के मेलें का शुभारंभ हो रहा है। तीन दिन तक चलने वाले माता के मेलें में हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, पश्चिमी बंगाल सहित देश के अनेक हिस्सों से श्रद्वालु माता के मन्दिर में पूजा अर्चना के लिए उमड़ते है। राजस्थान की सीमा से सटे लोहारू व आसपास के क्षेत्र के गांवों में कूलदेवी के रूप में पहाड़ी माता की मान्यता हैं। हर वर्ष लोहारू व आसपास के क्षेत्र से कूलदेवी के मन्दिर में हाजिरी लगाने के लिए पैदल जत्थे रवाना होते हैं। नवरात्रों के पावन अवसर पर लोहारू से करीबन 23 किमी दूर गांव पहाड़ी में ऊंची पहाड़ी पर स्थित माता का मन्दिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बना रहता हैं। नवरात्रों के अवसर पर प्रतिवर्ष लाखों लोग देशभर से यंहा माता के चरणों में शीश नवाने के लिए आते हैं। गांव में स्थित 400 फु ट ऊ ँची पहाड़ी पर माता की भव्य प्रतिमा अनायास ही भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती हैं। ऐसी मान्यता हैं कि जो श्रद्धालू माता के मन्दिर में मनोकामनाऐं लेकर आते हैं उनकी मनोकामनाऐं माता के दर्शन से पूरी हो जाती हैं तथा जो श्रद्धालू एक बार पहाड़ी माता के दर्शनों के लिए आता हैं वह सदैव के लिए माता का भक्त बन जाता हैं तथा माता उसकी रक्षा करती हैं। पहाड़ी की चोटी पर स्थित भव्य मन्दिर में माता की प्रतिमा स्थापित की गई हैं। करीबन 80 वर्ष पूर्व की पत्थर की एक प्राचीन प्रतिमा भी मन्दिर में स्थापित हैं। पहाड़ी पर चढने के लिए घुमावदार सीढिय़ा भी बनी हुई हैं तथा इसके प्रत्येक घूमाव पर हनुमान, श्री कृष्ण, शिवजी आदि देवी देवताओं की अति सुन्दर प्रतिमाऐं भी मनमोहक ढग़ से स्थापित की गई हैं। एक प्रचलित कथा के अनुसार मन्दिर में माता की प्रतिमा पर स्वर्ण देखकर ड़ाकूओं ने इसे लूटने के उद्देश्य से माता की प्रतिमा को खण्डित कर दिया ओर वे इसे उठाकर चले ही थे कि पहाड़ी माता ने उन्हें पहाड़ से उतरते समय अन्धा कर दिया। परिणामस्वरूप वे पहाड़ी से उतरते समय गिर गये व उनकी मृत्यू हो गई। डाकू माता की सोने की नथ आदि लेकर अर्थात माता की नाक काटकर भागे थे इसीलिए इसे नक्कटी माता के नाम से भी जाना जाता हैं, तथा जंहा डाकू गिरक र मरे थे वंहा अब नकीपुर गांव बसा हैं। एक अन्य उल्लेख के अनुसार दिल्ली के तोमर वंश के राजा पहाड़ी माता की पूजा व आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए यंहा आते थे व पाण्ड़व भी अपने अज्ञातवास के दौरान यंहा से निकलते समय माता के दर्शनों के लिए ठहरे थे। राजस्थान का काजडिया वंश पहाड़ी माता को अपनी कु ल देवी मानता हैं व काजडिय़ों ने यंहा माता के भक्तों के ठहरने के लिए अनेक भवन व धर्मशालाऐं बनवा रखी हैं। दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालू माता के दर्शनों के साथ अपने नवजात शिशुओं का मुण्डन संस्कार भी यंही करवाते हैं। इस पहाड़ी पर प्रतिवर्ष दो बार नवरात्रों के अवसर पर क्षेत्र का प्रसिद्ध मेला लगता हैं जिसमें हरियाणा के साथ-साथ राजस्थान व कलकत्ता से आने वाले लाखों श्रद्धालु माता के दर्शनों के पश्चात खरीददारी करते हैं। यह मेला चैत्र व अश्विनी माह की सप्तमी,अष्ठमी तथा नवमी को लगता हैं। मेले मे कुश्ती दंगल व ऊं ट दौड़ का भी आयोजन होता हैं जिसका लोग भरपूर लुत्फ उठाते हैं।
सुरक्षा के व्यापक प्रबंध:- लोहारू के थाना प्रभारी अमीर सिंह ने बताया कि पहाड़ी माता मन्दिर में देशभर से उमडऩे वाले श्रद्वालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए मन्दिर परिसर में भारी पुलिसबल तैनात किया जाएगा तथा श्रद्वालुओं की सुरक्षा के कडे प्रबंध किए जाऐंगे। पहाड़ी माता मेले में सीसीटीवी कैमरों की मदद से आपराधिक कार्यो को अन्जाम देने वाले व्यक्तियों की पहचान की जाएगी तथा सादी वर्दी में भी पुलिसबल तैनात किया जा रहा है।