इस बार दीपावली के पावन पर्व पर कोरोना महामारी की काली छाया तथा उससे उत्पन्न मंदी, आर्थिक तंगी और समाजिक मेलजोल पर प्रतिबंध के चलते वातावरण में उमंग उत्साह की जगह अजीब सी उदासी पसरी हुई है।अब की बार बाहरी और शारीरिक स्वच्छता और सफाई के साथ अंदर की सफाई सच्चाई अर्थात मन और चित्त की सफाई, दूसरे शब्दों में अंदर के कलुष को साफ कर निर्मल बनाने की महती आवश्यकता है