ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संस्थापक आदि पिता ब्रह्मा बाबा व अन्य वरिष्ठ दादियो द्वारा प्राप्त दैवी शिक्षा एवं ज्ञान से पली ईश्वरीय यज्ञ की आदि सेवाओं की रत्न, वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी कृष्णा दीदी ने मंगलवार 26 मार्च 2024 को दोपहर 12.30 बजे अपना पुराना शरीर त्याग 87 वर्ष की आयु में परमपिता शिव परमात्मा की गोद ली।
कृष्णा दीदी लौकिक रूप से श्री हरगोविंदपुर पंजाब से निकल ब्रह्माकुमारिज के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू तक पहुंचने वाली उन विशेष कन्याओं में से एक थे जिन पर स्वयं परमात्मा की दृष्टि पड़ी और उन्होंने अपना जीवन प्रभु अर्पित कर दिया। परमात्मा के प्रति दृढ़ निश्चय के कारण अपने प्रारंभिक दिनों में समाज तथा लौकिक परिवार से बहुत संघर्ष सहन किया। अपनी छोटी आयु में ही परमात्मा की बताई हुई युक्तियों को अपनाते स्वयं को बंधन मुक्त किया और ईश्वरीय सेवाओं में संपूर्ण समर्पित रूप से संलग्न हुए। पंजाब और हिमाचल के कई स्थानों पर सेवाएं देते दीदी ने माउंट आबू के म्यूजियम में भी अपनी अथक सेवाएं दी। सन 1974 से अंबाला में अपनी ईश्वरीय सेवाएं देते अनेको आत्माओं का जीवन परिवर्तन किया।
उनकी सेवाओं ने कई आत्माओं को ब्रह्माकुमारीज संस्थान के वारिस-गुणवत्ता वाले, अच्छे, सेवा योग्य ब्राह्मण बच्चे बनने के लिए पोषित किया है। इनके निर्देशन और मार्गदर्शन द्वारा अनेक अनन्य रत्न देश विदेश पर जाकर आज भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। दीदी जी यज्ञ सेवा में बहुत लगनशील और अथक थीं। परिपक्वता के उनके गहरे गुणों और आध्यात्मिक ज्ञान की समझ ने उन्हें कई विशिष्टताओं को विकसित करने में सक्षम बनाया।
ईश्वरीय यज्ञ के ईमानदार वफादार, छोटी मूर्ति में परमात्मा की अति लाडली महान मूर्ति ऐसी अति आदरणीय राजयोगिनी तपस्वीनी कृष्णा दीदी जी को ना केवल पूरा ब्राह्मण परिवार बल्कि आम जन मानस सादर श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु पहुंचे।
आदरणीय कृष्णा दीदी के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए *बुधवार 27 मार्च 2024 सुबह 11 बजे* दयाल बाग सेंटर से आरंभ हो पन्ना कॉटेज ब्रह्मकुमारी राजयोग केंद्र होते गीता गोपाल चोक से होते सब्ज़ी मंडी राजयोग केंद्र होते हुए रामबाग में एक भव्य अंतिम यात्रा द्वारा ले जाया गया। इस अंतिम यात्रा में अनेकों शहर वासियों ने शिरकत करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
माननीय विधायक श्री अनिल विज ने कहा लोगों के जीवन में ज्ञान जागृत करने वाली कृष्णा बहन जी आज हमारे बीच से जा रहे हैं परंतु बुझते हुए हमारे बीच में अपने द्वारा किए गए श्रेष्ठ कर्मों के निशान छोड़ कर जा रहे हैं। इन निशानों पर चलकर ही अपने जीवन को सार्थक किया जा सकता है। ऐसी महान विभूतियां प्रभु कृपा से ही इस धरती पर आती है। उन्होंने कहा मुझे बहुत बार बहन जी को सुनने का मौका मिला ऐसा महसूस किया जैसे कोई हिमालय की ठंडी हवाएं।
उन्होंने कहा मेरी माता जी भी उनको सुनने के लिए जाया करते थे। उनकी वाणी ऐसी थी की मन कितना ही उत्तेजित क्यों ना रहा हो उनकी वाणी मन को शांत कर देती थी।
दीदी जी को अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए भठिंडा से कैलाश दीदी, फिल्लौर से राज दीदी, कैथल से पुष्पा दीदी, मोहाली से प्रेम दीदी, धनास से लाज दीदी, झांसा से संगीता दीदी, करनाल से निर्मल दीदी, पटियाला से शांता दीदी, सहारनपुर से रानी बहन, अंबाला शहर से दिव्या दीदी, मीरा दीदी शिवानी दीदी और वीना दीदी, राजपुरा से गीता दीदी, दिल्ली से रीना बहन, माउंट आबू से मनी भाई, जय कुमार भाई, राजेश भाई, करण भाई और पानीपत से भारत भूषण भाई एवम् और भी कही अन्य भाई बहने व जानी मानी हस्तियां आई।