अम्बाला - एक वर्ष पूर्व 14 जनवरी 2021 को अंबाला मंडल (डिवीज़न ) की तत्कालीन आयुक्त दीप्ति उमाशंकर द्वारा दिसंबर, 2020 में करवाए गए अम्बाला नगर निगम के आम चुनावों के बाद नगर निगम की पहली प्रत्यक्ष (सीधी) निर्वाचित और प्रथम महिला मेयर शक्ति रानी शर्मा और निगम क्षेत्र के सभी 20 वार्डो से निर्वाचित नगर निगम सदस्यों (पार्षदों) को पद और निष्ठा की शपथ दिलवाई गई थी. इस प्रकार उक्त सभी के कुल 5 वर्षो के कार्यकाल में से एक वर्ष आज पूरा हो गया है.
अब बीते एक वर्ष में मेयर शक्ति रानी, जो हरियाणा जनचेतना पार्टी (वी) से हैं एवं जो पूर्व केंद्रीय उप-मंत्री एवं अम्बाला शहर से लगातार दो बार विधायक रह चुके विनोद शर्मा की धर्मपत्नी है, उन्होंने इस अवधि में कौन कौन से चुनावी वादे पूरे किये, कितने प्रारम्भ हुए एवं कितनों पर कार्य चल रहा है या फिलहाल कार्य आरंभ होना ही शेष है, इस पर अम्बाला शहरवासी ही बेहतर टिपण्णी कर सकेंगे.
इसी बीच शहर निवासी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने एक रोचक परन्तु महत्वपूर्ण कानूनी पॉइंट बारे जानकारी देते हुए बताया कि बेशक हजपा (वी ) की शक्ति रानी अम्बाला नगर निगम की सीधी निर्वाचित मेयर हैं परन्तु आज भी हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 53 में स्पष्ट उल्लेख है कि मंडल आयुक्त द्वारा चुनावों बाद नगर निगम की बुलाई पहली बैठक में निगम के निर्वाचित पार्षदों द्वारा और उनमें से ही मेयर चुना जाएगा.
उक्त धारा 53 में यह भी उल्लेख है कि मंडल आयुक्त द्वारा किसी नगर निगम सदस्य, जो मेयर पद के निर्वाचन हेतु उम्मीदवार नहीं होगा, को चुनावी प्रक्रिया की अध्यक्षता के लिए मनोनीत किया जाएगा. अगर मेयर पद के चुनाव हेतू करवाए गए मतदान में उम्मीदवारों के वोट बराबर होते हैं और एक अतिरिक्त वोट मिलने से उन उम्मीदवारों में से कोई एक मेयर के तौर पर निर्वाचित हो सकता है तो ऐसी परिस्थिति में चुनाव प्रक्रिया की अध्यक्षता करने वाले नगर निगम सदस्य (पार्षद ) द्वारा यह चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों की उपस्थिति में ड्रा ऑफ़ लोट (लाटरी सिस्टम) से भाग्यशाली विजयी उम्मीदवार का निर्णय किया जाएगा और उसे मेयर निर्वाचित घोषित किया जाएगा.
हेमंत ने बताया कि सवा 3 वर्ष सितम्बर, 2018 में प्रदेश विधानसभा द्वारा हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की कई धाराओं में संशोधन कर नगर निगम क्षेत्र के योग्य मतदाताओं द्वारा मेयर के प्रत्यक्ष (सीधे ) चुनाव करने का प्रावधान किया गया परन्तु ऐसा करते समय धारा 53 में संशोधन करना छूट गया था जिससे मौजूदा तौर पर प्रत्यक्ष निर्वाचित मेयर के प्रावधान बावजूद पार्षदों द्वारा भी मेयर के निर्वाचन का प्रावधान व्याप्त है.
हालांकि दूसरी ओर 14 नवंबर, 2018 को हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 के कई नियमो में उपयुक्त संशोधन किया गया जिसमें उसके नियम 71 को भी पूर्णतया संशोधित कर उसमें उल्लेख किया गया कि नगर निगम के आम चुनावों के परिणामो की अधिसूचना के तीस दिनों के भीतर बुलाई गयी पहली बैठक में मंडल आयुक्त द्वारा सीधे निर्वाचित मेयर और नगर निगम सदस्यों को पद और निष्ठा की शपथ दिलवाई जायेगी.
इस प्रकार नगर निगम आम चुनावो के बाद निगम की पहली बैठक के एजेंडे / कार्य संचालन के सम्बन्ध में हरियाणा नगर निगम अधिनियम,1994 की उक्त धारा 53 और हरियाणा नगर निगम निर्वाचन नियमावली, 1994 के उक्त नियम 71 में विरोधाभास है.
इस बारे में हेमंत का स्पष्ट कानूनी मत है कि अगर किसी विषय पर कानून की किसी धारा और उस कानून के अंतर्गत बनाये गये नियम में किसी प्रकार का विरोधाभास हो, तो ऐसी परिस्थिति में कानूनी धारा ही मान्य.लागू होती है जैसा सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए कई निर्णयों से भी स्पष्ट होता है चूँकि कानून को विधानसभा या संसद द्वारा बनाया किया जाता है जबकि उस कानून के अंतर्गत निगम राज्य/केंद्र सरकार द्वारा बनाये जाते हैं.
हेमंत ने एक वर्ष पूर्व 13 जनवरी 2021 को अम्बाला मंडल की तत्कालीन कमिश्नर दीप्ति उमाशंकर को उपरोक्त विषय पर लिखा भी था जिसके बाद उनके कार्यालय से 18 फरवरी 2021 को अम्बाला के तत्कालीन डीसी अशोक शर्मा को पत्र भेजकर इस सम्बन्ध में नियमानुसार कार्यवाही करने हेतु और प्रार्थी को तत्पश्चात सूचित करने के लिए भी लिखा गया हालांकि आज तक इस सम्बन्ध में हेमंत को डीसी कार्यालय से कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है जोकि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.