पंचकूला : हरियाणा बनाओ अभियान संस्था ने प्रदेश में संसदीय क्षेत्रों के प्रत्याशियों के सामने हरियाणा के लिए अलग हाईकोर्ट और नई राजधानी का मुद्दा उठाने की कवायद शुरू कर दी है। आज हरियाणा बनाओ अभियान के संयोजक एवं पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष रणधीर सिंह बधरान की अध्यक्षता में अधिवक्ताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं की टीम ने अम्बाला संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार वरुण चौधरी मुलाना और भाजपा उम्मीदवार बंतो कटारिया को मांग पत्र सौंपा और हरियाणवी जनता के इस अहम मुद्दे पर उनका समर्थन मांगा। इस दौरान मुख्य कानूनी सलाहकार एडवोकेट विजय बंसल, रवि कांत सैन, राज कुमार सलूजा, तकविन्दर सिंह, इंदर सिंह वर्मा, राम कुमार भ्याण, कृष्ण शर्मा, एडवोकेट सह-संयोजक सुरेंद्र बैरागी एडवोकेट, सह-संयोजक यसपाल राणा एडवोकेट, भीम नैन सामाजिक कार्यकर्ता और अन्य गणमान्य लोग व सामाजिक कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।
रणधीर सिंह बधरान ने बताया कि हरियाणा में इस बार लोकसभा चुनावों में प्रदेश के लिए नई राजधानी और अलग हाई कोर्ट की मांग मुख्य मुद्दे होंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा को पंजाब से अलग हुए 57 साल हो गए हैं, लेकिन दुर्भाग्य से इस क्षेत्र को अभी तक पूर्ण स्वायत्त राज्य का दर्जा नहीं मिल सका है क्योंकि इसे अपनी अलग राजधानी और अलग उच्च न्यायालय नहीं मिला। संयुक्त पंजाब की राजधानी चण्डीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी बना दिया गया, जोकि गलत निर्णय था। उचित स्थान पर आधुनिक राजधानी के निर्माण से राज्य के अविकसित क्षेत्रों के विकास को नई गति मिलेगी।
इसके अलावा, हरियाणा के लोगों को प्रशासनिक और न्यायिक सेवाओं का लाभ उठाने में बड़ी सुविधा मिलेगी। वकील हरियाणा और पंजाब की अलग बार कॉउन्सिल की भी मांग कर रहे हैं और अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए हरियाणा के वार्षिक बजट में बड़े प्रावधान करने और हरियाणा की अलग बार काउंसिल के माध्यम से अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम के तहत अधिवक्ताओं को सेवानिवृत्ति लाभ लागू करने की भी मांग कर रहे हैं। चूँकि कई अन्य राज्यों ने पहले ही अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए राज्य सरकारों के वार्षिक बजट में बजटीय प्रावधान कर दिए हैं। अधिवक्ता अधिनियम के तहत अलग बार काउंसिल के निर्माण के लिए हरियाणा में अलग उच्च न्यायालय का निर्माण जरूरी है।रिकॉर्ड के अनुसार हरियाणा के 14,25,047 से अधिक मामले हरियाणा के जिलों और अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष लंबित हैं और 6,19,2,192 से अधिक मामले उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं और लाखों मामले अन्य आयोगों, न्यायाधिकरणों और अन्य प्राधिकरणों के समक्ष लंबित हैं। अनुमान है कि हरियाणा के 45 लाख से अधिक लोग मुकदमेबाजी में शामिल हैं और अधिकांश वादकारी मामलों के निपटारे में देरी के कारण प्रभावित होते हैं। त्वरित निर्णय के मुद्दे हरियाणा के वादकारियों और अधिवक्ताओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस मुद्दे के समाधान के लिए हरियाणा और पंजाब दोनों राज्यों को अलग-अलग उच्च न्यायालय की आवश्यकता है। मंच की हरियाणा की सीमा के भीतर एक और नई राजधानी की मांग भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।