Thursday, November 27, 2025
Follow us on
BREAKING NEWS
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रदेश के दो खिलाड़ियों की दुखद मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया, परिजनों को पाँच-पाँच लाख की सहायता घोषितऑपरेशन ट्रैकडाउन की बड़ी उपलब्धि: 24 नवंबर को 62 कुख्यात अपराधी काबू, कुल आंकड़ा 1602 तक पहुँचाहरियाणा पुलिस की बड़ी मुहिम: इस वर्ष अब तक 63,073 ड्रंकन ड्राइविंग चालान, सड़क सुरक्षा पर ‘सख़्त और संवेदनशील’ कार्रवाईदिल्ली विधानसभा आज मनाएगी 75वां संविधान दिवस, मुख्य अतिथि होंगे उपराष्ट्रपतिआज 26/11 की 17वीं बरसी, 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले में 166 लोगों की गई थी जान छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में कार और ट्रक में जोरदार टक्कर, 5 की मौत, तीन घायलमणिपुर में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी, भारी मात्रा में हथियार बरामदआज से भारत का एविएशन सेक्टर एक नई उड़ान भरने जा रहा है, बोले पीएम मोदी
 
National

महर्षि दयानन्द सरस्वती के जन्मदिवस पर विशेष

January 24, 2023 06:35 PM
आगामी दो वर्षो पश्चात महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती को 200 वर्ष पूरे हो रहे हैं। उन्हें सिर्फ उनकी जन्म जयंती पर स्मरण करना काफी नहीं है बल्कि वर्तमान में उनके दिखाए मार्ग को जीवन में आत्मसात कर ही देश और समाज को प्रगति पथ पर बढ़ाया जा सकता है। महर्षि दयानन्द सरस्वती का जीवन मात्र जीवन न होकर पुरे विश्व के लिए ऐसी प्रेरणारूपी प्रकाश का केंद्र है। जो पुरे विश्व के कल्याण की कामना में ही मानवता का अक्ष देखते थे। वे महान समाज सुधारक, राष्ट्र-निर्माता, प्रकाण्ड विद्वान, सच्चे संन्यासी, ओजस्वी सन्त और स्वराज के संस्थापक के रूप में जाने जाते हैं। बाल्यवस्था के दौरान कुछ ऐसी घटनाएं घटीं, जिन्होंने उन्हें सच्चे भगवान, मौत और मोक्ष का रहस्य जानने के लिए संन्यासी जीवन जीने को विवश कर दिया। उन्होंने इन रहस्यों को जानने के लिए पूरा जीवन लगा दिया और फिर जो ज्ञान हासिल हुआ, उसे पूरे विश्व को अनेक सूत्रों के रूप में बताया
दयानंद सरस्वती का जन्म फ़रवरी टंकारा में सन् 1824 में मोरबी के पास काठियावाड़ क्षेत्र (जिला राजकोट), गुजरात में हुआ था। उनके पिता का नाम करशनजी लालजी तिवारी और माँ का नाम यशोदाबाई था। उनके पिता एक कर-कलेक्टर होने के साथ ब्राह्मण परिवार के एक अमीर, समृद्ध और प्रभावशाली व्यक्ति थे। दयानंद सरस्वती का असली नाम मूलशंकर था। उनके जीवन में ऐसी बहुत सी घटनाएं हुईं, जिन्होंने उन्हें हिन्दू धर्म की पारम्परिक मान्यताओं और ईश्वर के बारे में गंभीर प्रश्न पूछने के लिए विवश कर दिया। एक बार शिवरात्रि की घटना है। तब वे बालक ही थे। शिवरात्रि के उस दिन उनका पूरा परिवार रात्रि जागरण के लिए एक मन्दिर में ही रुका हुआ था। सारे परिवार के सो जाने के पश्चात् भी वे जागते रहे कि भगवान शिव आयेंगे और प्रसाद ग्रहण करेंगे। उन्होंने देखा कि शिवजी के लिए रखे भोग को चूहे खा रहे हैं। यह देख कर वे बहुत आश्चर्यचकित हुए और सोचने लगे कि जो ईश्वर स्वयं को चढ़ाये गये प्रसाद की रक्षा नहीं कर सकता वह मानवता की रक्षा क्या करेगा? इस बात पर उन्होंने अपने पिता से बहस की और तर्क दिया कि हमें ऐसे असहाय ईश्वर की उपासना नहीं करनी चाहिए। उन्होंने वेदों की सत्ता को सदा सर्वोपरि माना। वेदों की ओर लौटो यह उनका प्रमुख नारा था। स्वामी दयानंद जी ने वेदों का भाष्य किया इसलिए उन्हें ऋषि कहा जाता है क्योंकि "ऋषयो मन्त्र दृष्टारः वेदमन्त्रों के अर्थ का दृष्टा ऋषि होता है। ने कर्म सिद्धान्त, पुनर्जन्म, ब्रह्मचर्य तथा सन्यास को अपने दर्शन के चार स्तम्भ बनाया। उन्होने ही सबसे पहले 1876 में 'स्वराज्य' का नारा दिया जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया। आज स्वामी दयानन्द के विचारों की समाज को नितान्त आवश्यकता है।
उन्होंने सन् 1874 में अपने कालजयी ग्रन्थ ‘सत्यार्थ-प्रकाश’ की रचना की। वर्ष 1908 में इस ग्रन्थ का अंग्रेजी अनुवाद भी प्रकाशित किया गया। इसके अलावा उन्होंने हिन्दी में ‘ऋग्वेदादि भाष्य भूमिका’, ‘संस्कार-विधि’, ‘आर्याभिविनय’ आदि अनेक विशिष्ट ग्रन्थों की रचना की। स्वामी दयानंद सरस्वती ने ‘आर्योद्देश्यरत्नमाला’, ‘गोकरूणानिधि’, ‘व्यवाहरभानू’ ‘पंचमहायज्ञविधि’, ‘भ्रमोच्छेदल’, ‘भ्रान्तिनिवारण’ आदि अनेक महान ग्रन्थों की रचना की। विद्वानों के अनुसार, कुल मिलाकर उन्होंने 60 पुस्तकें, 14 संग्रह, 6 वेदांग, अष्टाध्यायी टीका, अनके लेख लिखे। स्वामी दयानंद सरस्वती के तप, योग, साधना, वैदिक प्रचार, समाजोद्धार और ज्ञान का लोहा बड़े-बड़े विद्वानों और समाजसेवियों ने माना। स्वामी दयानन्द के विचारों से प्रभावित महापुरुषों की संख्या असंख्य है, इनमें प्रमुख नाम हैं- मादाम भिकाजी कामा, पण्डित लेखराम आर्य, स्वामी श्रद्धानन्द, पण्डित गुरुदत्त विद्यार्थी, श्यामजी कृष्ण वर्मा, विनायक दामोदर सावरकर, लाला हरदयाल, मदनलाल ढींगरा, राम प्रसाद 'बिस्मिल', महादेव गोविंद रानडे, महात्मा हंसराज, लाला लाजपत राय इत्यादि। स्वामी दयानन्द के प्रमुख अनुयायियों में लाला हंसराज ने 1886 में लाहौर में 'दयानन्द एंग्लो वैदिक कॉलेज' की स्थापना की तथा स्वामी श्रद्धानन्द ने 1901 में हरिद्वार के निकट कांगड़ी में गुरुकुल की स्थापना की।
स्वामी जी परम योगी, अद्वितीय ब्रह्मचारी, ओजस्वी वक्ता थे। वे जानते थे कि सशक्त भारत के निर्माण के लिए युवाओं को श्रेष्ठ शिक्षा पद्धति के माध्यम से ब्रह्मचर्य के तप में तपाकर ही राष्ट्र के स्वर्णिम स्वाभिमान और स्वाधीनता के मार्ग को प्रशस्त किया जा सकता है। इसके लिए स्वामी दयानंद ने गुरुकुल पद्धति का विधान किया, ताकि राष्ट्र का प्रत्येक युवा शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शक्तियों से परिपूर्ण होकर भारतीय वैदिक संस्कृति की रक्षा के लिए तत्पर हो। महर्षि दयानंद ने वेद के उपदेशों के माध्यम से भारतीय समाज को एक नया जीवन दिया। महर्षि ने बाल विवाह, पर्दा प्रथा, जाति प्रथा, छुआछूत जैसी अनेक सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध जीवनपर्यंत संघर्ष किया। उन्होंने समाज में दलितों और शोषितों को समानता का अधिकार देकर सामाजिक एकता, समरसता व सद्भावना की नींव रखी। स्वधर्म, स्वभाषा, स्वराष्ट्र, स्वसंस्कृति और स्वदेशोन्नति के अग्रदूत स्वामी दयानन्द जी का शरीर सन् 1883 में दीपावली के दिन पंचतत्व में विलीन हो गया और वे अपने पीछे छोड़ गए एक सिद्धान्त, कृण्वन्तो विश्वमार्यम् - अर्थात सारे संसार को श्रेष्ठ मानव बनाओ। उनके अन्तिम शब्द थे - "प्रभु! तूने अच्छी लीला की। आपकी इच्छा पूर्ण हो।" महर्षि दयानंद सरस्वती के विचार आज भी हमारे बीच अमर हैं और हमारे जीवन का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। बस हमें उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग को जीवन में आत्मसात कर समाज और देश से कुरीतियों और बुराइयों का सर्वनाश कर सकारात्मकता के साथ फिर से वेदों की ओर लौटना है।
Have something to say? Post your comment
More National News
आज 26/11 की 17वीं बरसी, 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले में 166 लोगों की गई थी जान छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में कार और ट्रक में जोरदार टक्कर, 5 की मौत, तीन घायल मणिपुर में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी, भारी मात्रा में हथियार बरामद आज से भारत का एविएशन सेक्टर एक नई उड़ान भरने जा रहा है, बोले पीएम मोदी तमिलनाडु: तेनकासी में दो प्राइवेट बसों की जबरदस्त टक्कर, छह लोगों की मौत राष्ट्रपति मुर्मू ने जस्टिस विक्रम नाथ को NALSA का एग्जीक्यूटिव चेयरमैन नामित किया
देश के 53वें चीफ जस्टिस बने जस्टिस सूर्यकांत शर्मा, ली शपथ
हैदराबाद एयरपोर्ट पर बम की धमकी, बहरीन-हैदराबाद फ्लाइट GF274 मुंबई डायवर्ट बेगूसराय में STF-पुलिस की मुठभेड़: कुख्यात बदमाश घायल, भारी मात्रा में हथियार बरामद जेपी नड्डा आज जाएंगे मणिपुर, मोहन भागवत भी रहेंगे मौजूद