Wednesday, December 03, 2025
Follow us on
BREAKING NEWS
वीआईपी नंबर की ₹1.17 करोड़ की बोली लगाकर पीछे हटना पड़ा भारी, परिवहन मंत्री अनिल विज ने दिए संपत्ति की जांच के निर्देश, आयकर विभाग को भी लिखा जाएगा पत्रममता बनर्जी सिर्फ एक विशेष वर्ग की राजनीति कर रही हैं - नायब सिंह सैनीसूफीवाद: असहिष्णुता के दौर में एक मुस्लिम महिला की आवाज़चंडीगढ़:दीन दयाल लाडो लक्ष्मी योजना हरियाणा के मुख्यमंत्री सिंह सैनी के द्वारा दूसरी क़िस्त 7 लाख लाभार्थियों को राशि वितरण करते हुएमुख्यमंत्री ने युवाओं को खेलों के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए बलराम कुश्ती दंगल के रूप में दिया एक नया प्लेटफार्म - गौरव गौतमसुशासन दिवस तक सभी नागरिक सेवाओं को ऑटो अपील सिस्टम पर ऑनबोर्ड करना सुनिश्चित करें - मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनीचंडीगढ़--- हरियाणा सरकार ने नए DGP के लिए UPSE को भेजने वाले सात IPS का पैनल तैयार कियामुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हरियाणा विधानसभा द्वारा प्रकाशित पत्रिका ‘सदन संदेश’ का किया विमोचन
 
National

भावना तो तर्क वितर्क से परे होती है!

January 19, 2022 07:12 PM
डॉ कमलेश कली 
बचपन से ही मेरी मां हम सब को  खाना खाने से पहले भगवान को भोग लगाने के लिए कहती थी, और कुछ नहीं तो कृष्ण अर्पणं बोल दो ऐसा कहती थी। घर में विशेष अवसरों पर विधिवत भोग लगता था और ऐसा माना जाता था कि भोग लगाने से सब प्रभु प्रसाद बन जाता है, फिर तेरा मेरा नहीं रहता,बरकत भी रहती है,रज भी होता है अर्थात तृष्णा नहीं रहती। मंदिर, गुरुद्वारे और सब धर्म स्थलों पर भोग लगाने और फिर प्रसाद वितरण करने के अपनी  अपनी प्रथा होती है पर किसी न किसी रूप में  अर्पित जरुर किया जाता है, यहां तक यज्ञ करते हुए भी नैवेद्य समर्पित किया जाता है।एक बार एक छात्र ने अपने गुरु जी से इस संदर्भ में सवाल किया कि हम यूं ही भगवान को भोग लगाने की प्रथा निभाते हैं, क्योंकि भगवान तो खाता ही नहीं, अगर भगवान खाता तो अर्पित हुई वस्तु ,खाद्य पदार्थ  कम होना चाहिए ,जब भगवान खाते ही नहीं तो फिर भोग लगाने न लगाने से क्या फर्क पड़ता है। गुरु जी उस छात्र के सवाल पर उस समय तो चुप रहे , थोड़ी देर में उस छात्र बुलाकर पुस्तक से एक श्लोक याद करने को कहा ,तुभ्यम वस्तु गोविन्दं,तुभ्यमेव समर्पेयते,गृहाण सम्मुख हो भुत्वा, प्रसीदं परमेश्वर:, छात्र ने थोड़ी देर में श्लोक कंठस्थ कर लिया और गुरु जी को सुनाने लगा। गुरु जी बोले नहीं तुम्हें याद नहीं हुआ। छात्र ने आग्रह कर के कहा ,आप चाहे तो पुस्तक में देख सकते हैं।तब गुरु जी बोले, श्लोक तो किताब में वैसे का वैसा है,पर तुम्हारे पास कैसे आ गया?इस पर छात्र चुप हो गया,तब गुरु जी ने समझाया कि पुस्तक में जो श्लोक है,वह स्थूल है, तुमने कंठस्थ कर लिया तो सूक्ष्म रूप से श्लोक तुम्हारे दिमाग में चला गया, श्लोक वहां पुस्तक में भी वैसे का वैसा है, और  तुम्हारे दिमाग ने भी याद कर इसे गृहण कर लिया है। ऐसे ही जब हम भगवान को भोग लगाते हैं तो भगवान हमारी भावना अनुसार उसकी भासना लेते हैं, स्थूल रूप से चाहे वस्तु और खाद्य पदार्थ कम नहीं होता,पर हमारी भावना वहां तक पहुंचती है। शिष्य को अपनी बात का उत्तर मिल गया, और उसे समझ में आ गया कि भावना तो तर्क वितर्क से परे होती
Have something to say? Post your comment
More National News
सूफीवाद: असहिष्णुता के दौर में एक मुस्लिम महिला की आवाज़
महाराष्ट्र में 264 नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायत चुनाव के लिए मतदान शुरू बम की धमकी मिलने पर मुंबई में फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग, हैदराबाद से कुवैत जा रहा था विमान मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर कांग्रेस की बड़ी मीटिंग, राहुल गांधी भी पहुंचे आज 26/11 की 17वीं बरसी, 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले में 166 लोगों की गई थी जान छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में कार और ट्रक में जोरदार टक्कर, 5 की मौत, तीन घायल मणिपुर में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी, भारी मात्रा में हथियार बरामद आज से भारत का एविएशन सेक्टर एक नई उड़ान भरने जा रहा है, बोले पीएम मोदी तमिलनाडु: तेनकासी में दो प्राइवेट बसों की जबरदस्त टक्कर, छह लोगों की मौत राष्ट्रपति मुर्मू ने जस्टिस विक्रम नाथ को NALSA का एग्जीक्यूटिव चेयरमैन नामित किया