Friday, September 19, 2025
Follow us on
BREAKING NEWS
प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल की अंतरिम सरकार प्रमुख सुशीला कार्की से बातचीत कीदिल्ली पुलिस की झारखंड में रेड, आतंकी दानिश के ठिकाने से पोटेशियम नाइट्रेट बरामदराहुल गांधी का गुजरात दौरा टला, जिलाध्यक्षों के कार्यक्रम में होने वाले थे शामिलजल्द टैरिफ घटा सकता है अमेरिका’, सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस के अवसर पर शुरू हुआ सेवा पखवाड़ा स्वच्छता अभियान के अंतर्गत मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने किया श्रमदान , मुख्यमंत्री ने एक पेड़ मां के नाम कार्यक्रम के अंतर्गत पौधारोपण भी कियाहरियाणा के सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियां 30 सितम्बर तक अपने बीएलए नियुक्त करें- CEOइनेलो के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. अभय सिंह चौटाला ने प्रेस वार्ता करते हुएपंचकूला:मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से की अपील, हमें पानी की हर एक बूंद को बचाना है पौधारोपण करना है और पर्यावरण को भी बचाना है
 
National

भावना तो तर्क वितर्क से परे होती है!

January 19, 2022 07:12 PM
डॉ कमलेश कली 
बचपन से ही मेरी मां हम सब को  खाना खाने से पहले भगवान को भोग लगाने के लिए कहती थी, और कुछ नहीं तो कृष्ण अर्पणं बोल दो ऐसा कहती थी। घर में विशेष अवसरों पर विधिवत भोग लगता था और ऐसा माना जाता था कि भोग लगाने से सब प्रभु प्रसाद बन जाता है, फिर तेरा मेरा नहीं रहता,बरकत भी रहती है,रज भी होता है अर्थात तृष्णा नहीं रहती। मंदिर, गुरुद्वारे और सब धर्म स्थलों पर भोग लगाने और फिर प्रसाद वितरण करने के अपनी  अपनी प्रथा होती है पर किसी न किसी रूप में  अर्पित जरुर किया जाता है, यहां तक यज्ञ करते हुए भी नैवेद्य समर्पित किया जाता है।एक बार एक छात्र ने अपने गुरु जी से इस संदर्भ में सवाल किया कि हम यूं ही भगवान को भोग लगाने की प्रथा निभाते हैं, क्योंकि भगवान तो खाता ही नहीं, अगर भगवान खाता तो अर्पित हुई वस्तु ,खाद्य पदार्थ  कम होना चाहिए ,जब भगवान खाते ही नहीं तो फिर भोग लगाने न लगाने से क्या फर्क पड़ता है। गुरु जी उस छात्र के सवाल पर उस समय तो चुप रहे , थोड़ी देर में उस छात्र बुलाकर पुस्तक से एक श्लोक याद करने को कहा ,तुभ्यम वस्तु गोविन्दं,तुभ्यमेव समर्पेयते,गृहाण सम्मुख हो भुत्वा, प्रसीदं परमेश्वर:, छात्र ने थोड़ी देर में श्लोक कंठस्थ कर लिया और गुरु जी को सुनाने लगा। गुरु जी बोले नहीं तुम्हें याद नहीं हुआ। छात्र ने आग्रह कर के कहा ,आप चाहे तो पुस्तक में देख सकते हैं।तब गुरु जी बोले, श्लोक तो किताब में वैसे का वैसा है,पर तुम्हारे पास कैसे आ गया?इस पर छात्र चुप हो गया,तब गुरु जी ने समझाया कि पुस्तक में जो श्लोक है,वह स्थूल है, तुमने कंठस्थ कर लिया तो सूक्ष्म रूप से श्लोक तुम्हारे दिमाग में चला गया, श्लोक वहां पुस्तक में भी वैसे का वैसा है, और  तुम्हारे दिमाग ने भी याद कर इसे गृहण कर लिया है। ऐसे ही जब हम भगवान को भोग लगाते हैं तो भगवान हमारी भावना अनुसार उसकी भासना लेते हैं, स्थूल रूप से चाहे वस्तु और खाद्य पदार्थ कम नहीं होता,पर हमारी भावना वहां तक पहुंचती है। शिष्य को अपनी बात का उत्तर मिल गया, और उसे समझ में आ गया कि भावना तो तर्क वितर्क से परे होती
Have something to say? Post your comment
More National News
प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल की अंतरिम सरकार प्रमुख सुशीला कार्की से बातचीत की राहुल गांधी का गुजरात दौरा टला, जिलाध्यक्षों के कार्यक्रम में होने वाले थे शामिल आज दोपहर 12 बजे होगी कर्नाटक कैबिनेट की स्पेशल बैठक, भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर होगी चर्चा PM मोदी और अमित शाह ने CM धामी से की फोन पर बात, बारिश से पैदा हुई स्थिति की ली जानकारी पीएम मोदी की मां पर टिप्पणी: मुजफ्फरपुर कोर्ट में आज सुनवाई, राहुल-तेजस्वी के खिलाफ है शिकायत
NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन बनेंगे भारत के उपराष्ट्रपति, मिले 452 वोट
MP के बुरहानपुर में गणेश विसर्जन के दौरान पथराव, 3 घायल, 7 हिरासत में नेपाल: जेन जी प्रदर्शनकारियों के संसद में घुसने पर काठमांडू में कर्फ्यू लगा वाराणसी में 11 सितंबर को मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम से मुलाकात करेंगे PM मोदी ECI ने सभी राज्य के चुनाव आयुक्तों की दिल्ली में बुलाई बैठक, SIR और अन्य मुद्दों पर होगी चर्चा