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चंडीगढ़: हरियाणा में होने वाले पंचायत चुनाव सम्बन्धित याचिका में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में आगामी तारीख 11 अक्टूबर 2021 निश्चित हुई है

September 14, 2021 12:26 PM

हरियाणा में पंचायती चुनावों के लिए फिलहाल लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पंचायत चुनावों से संबंधित याचिका पर सुनवाई के लिए अब 11 अक्टूबर 2021 की तारीख निर्धारित की गई है। इसपर आज सुनवाई होनी थी।

प्रदेश में पंचायती चुनावों की तारीखों को लेकर अभी घोषणा नहीं हुई है लेकिन विभागों में अब कार्य तेजी से होने लगे हैं। सोनीपत में विभागों के कर्मचारियों, अधिकारियों की सूची मांगी गई है। इससे पहले सभी विभागों के कर्मचारियों और अधिकारियों का डेटा मांगा गया था, ताकि चुनाव में ड्यूटी संबंधित पूरी जानकारी सही से अपडेट हो सके।
 
आपको बता दें कि हरियाणा में पंचायती चुनावों में काफी देरी हो चुकी है। सरपंचों का कार्यकाल खत्म हो चुका है और सरपंचों का कार्यभार अब प्रशासकों के हवाले है।

पंचायती चुनावों को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है। इस मामले में गुरुग्राम जिले के ग्राम जटोला निवासी प्रवीण चौहान व अन्य कई याचिका में पंचायत चुनाव में आरक्षण को चुनौती दी है।
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से कहा था कि वो आरक्षण के लिए नये प्रावधान को निलबिंत करके पुराने नियमों पर चुनाव करवा सकती है।

हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि शंकर झा पर आधारित डिविजन बेंच ने कहा कि सरकार ने इस मामले में अंडरटेकिंग दे रखी है कि जब तक याचिका पर फैसला नहीं होता तब तक सरकार का निकट भविष्य में चुनाव कराने का उसका कोई इरादा नहीं।

याचिकाकर्ता ने राज्य के पंचायत विभाग द्वारा 15 अप्रैल, 2021 को अधिसूचित हरियाणा पंचायती राज (द्वितीय संशोधन) अधिनियम 2020 को भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक बताते हुए निरस्त करने के निर्देश देने की मांग की है।

अधिनियम में संशोधन के अनुसार, पंचायती राज में सीटों का 8 प्रतिशत बीसी-ए श्रेणी के लिए आरक्षित किया जाना है और न्यूनतम सीटें 2 से कम नहीं होनी चाहिए जो एक दूसरे के विपरीत है क्योंकि हरियाणा में 8 प्रतिशत के अनुसार केवल छह जिले हैं जहां 2 सीटें आरक्षण के लिए निकलती हैं अन्यथा 18 जिले में केवल 1 सीट आरक्षित की जानी है जबकि सरकार ने 15 अप्रैल, 2021 की अधिसूचना के माध्यम से सभी जिलों में बीसी-ए श्रेणी के लिए 2 सीटें आरक्षित की हैं जो कानूनन गलत है।

यह अधिनियम में संशोधन जिला परिषद की जनसंख्या 2021 में बीसी-ए आबादी को दिखाए बिना किया गया है जबकि बीसी-ए आबादी को दर्शाने वाला एक अलग कॉलम होना चाहिए ताकि आरक्षण के साथ-साथ रोटेशन भी स्पष्ट रूप से देखा जा सके।

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