नगर निगम चुनाव के शपथ ग्रहण के साथ ही पूरी प्रक्रिया खत्म हो गई। लेकिन अब निगम कमिश्नर पार्थ गुप्ता द्वारा शिष्टाचार न निभाने पर राजनीति की नई आहट भी पैदा हो गई है। क्योंकि जब शपथ ग्रहण के बाद हजपा की 67 वर्षीय शक्ति रानी शर्मा नगर निगम मेयर की कुर्सी संभालने गईं तो वहां स्वागत करने वाला कोई नहीं था। शाम होते-होते सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीते वार्ड-5 के पार्षद राजेश मेहता कांग्रेस का हाथ छोडक़र हजपा के साथ खड़े हो गए। वहीं शपथ ग्रहण समारोह में शहर विधायक की नेम प्लेट वाला सोफा खाली रहा। इसके अलावा कांग्रेस के मुलाना विधायक वरुण चौधरी और नारायणागढ़ से शैली चैधरी भी शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुई। वहीं विनोद शर्मा के खासमखास राकेश मेहता ने कहा कि अम्बाला की पहली महिला मेयर का स्वागत न करना पार्थ गुप्ता को शोभा नहीं देता क्योंकि निगम कमिश्नर का फर्ज बनता है कि वह मेयर के प्रति शिष्टाचार दिखाते। लेकिन सम्मान न दिखाने पर विनोद शर्मा के समर्थक पार्थ गुप्ता पर नराजगी जता रहे हैं। मेहता ने कहा कि सम्मान न देकर पार्थ गुप्ता ने बता दिया है कि वे भाजपा की कठपुतली बने हुए हैं। अगर इसी तरह जारी रहा तो हम इसका कड1ा विरोध करेंगे। निगम में राजनीति कम नहीं होने वाली है, क्योंकि माना जा रहा है कि निगम कमिश्नर पार्थ गुप्ता भाजपा के विचारधारा से प्रभावित हैं। इसलिए उन्हें हजपा नेत्री व मेयर शक्तिरानी शर्मा की जीत अच्छी नहीं लग रही है। इस टकराव के कारण निगम के अफसर पिसते नजर आ सकते हैं। क्योंकि जब दो गणमान्य विपरीत सोच के हों तो उसका सीधा असर नीचे वाले अधिकारियों पर दिखता है। हालांकि, निगम में मेयर का औपचारिक स्वागत न होने के सवाल पर कमिश्नर चुप रहे। बेशक निगम आयुक्त ने शिष्टाचार नहीं निभाया पर शक्तिरानी अपने कमरे में भी शिष्टाचार नहीं भूलीं। उन्होंने कुर्सी पर बैठने से पहले अपने ही कार्यालय में सबसे पहले अपने साथ कमरे में आए आयुक्त पार्थ गुप्ता के लिए कुर्सी लगवाई, उन्हें बिठाया फिर खुद भी अपनी कुर्सी पर बैठी।