विकेश शर्मा
चंडीगढ़ - हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा, जो 1983 बैच की आईएएस हैं, की सेवानिवृति बुधवार 30 सितम्बर को हैं . हालांकि उनके उत्तरधिकारी बारे आधिकारिक आदेश जारी नहीं हुए है परन्तु ऐसी प्रबल सम्भावना है कि 1985 बैच के आईएएस विजय वर्धन को प्रदेश का अगला मुख्य सचिव तैनात किया जा सकता है. वर्धन की सेवानिवृत्ति नवंबर, 2021 में है, इस प्रकार वह 14 माह तक मुख्य सचिव रह सकते हैं.
पांच माह पूर्व 30 अप्रैल को वर्धन को, जो तब पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद पर तैनात थे एवं जिनके पास गृह विभाग के प्रशासनिक सचिव का अतिरिक्त कार्यभार था, उन्हें मुख्य तौर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं वित्तायुक्त, राजस्व और आपदा प्रबंधन एवं चकबंदी विभाग तैनात किया गया जबकि उन्हें अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह, जेल, क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन (गुप्तचर) एवं न्याय-प्रशासन विभाग का भी कार्यभार दिया गया. हालांकि पर्यटन विभाग उनसे ले लिया गया था.
लिखने योग्य है कि प्रदेश के मुख्य सचिव के पद के बाद राज्य ब्यूरोक्रेसी (अफसरशाही ) में राजस्व सचिव, जिसे आम तौर पर एफ.सी.आर. (फाइनेंसियल कमिश्नर रेवेन्यू ) कहा जाता है दूसरा सबसे वरिष्ठम पद है एवं इसी कारण इस पर सामान्यतः स्टेट कैडर में मौजूद दूसरे सबसे वरिष्ठ आईएएस को तैनात किया जाता है. हालांकि प्रदेश की मुख्य सचिव केशनी अरोड़ा के बाद सबसे वरिष्ठ 1984 बैच के आईएएस सुनील कुमार गुलाटी है, जो वर्तमान में अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रिंटिंग एवं स्टेशनरी विभाग के पद पर हैं परन्तु उनकी बजाये 1985 बैच के विजय वर्धन को राजस्व सचिव लगाया गया था. अब वर्धन के मुख्य सचिव बनने के बाद 1986 बैच के आईएएस संजीव कौशल को एफ.सी.आर तैनात किया जा सकता है.इसके साथ साथ ही गृह विभाग में भी अतिरिक्त मुख्य सचिव या प्रधान सचिव रैंक के आईएएस की तैनाती करनी होगी.
बहरहाल, इस सम्बन्ध में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि अक्टूबर, 2014 में मनोहर लाल के नेतृत्व वाली पहली भाजपा सरकार बनने के बाद आज तक प्रदेश ने सात गृह सचिव रहे हैं. सबसे पहले नवंबर, 2014 में खट्टर सरकार के पहले भारी-भरकम प्रशासनिक फेरबदल में 1985 बैच के .पी.के. महापात्रा को नई सरकार का पहला गृह सचिव लगाया गया. इसके एक वर्ष बाद नवंबर, 2015 में 1986 बैच के पी.के.दास को उनके स्थान पर तैनात किया गया हालांकि इसके छः महीने बाद ही मई, 2016 में 1985 बैच के राम निवास गृह सचिव बनाये गए जो सवा वर्ष तक इस पद पर रहे जिसके बाद सितम्बर, 2017 में 1984 बैच के एस.एस.प्रसाद गृह सचिव लगाए गए जो लगभग दो वर्ष तक अर्थात जुलाई,2019 तक यानि अपनी सेवानिवृत तक इस पद पर रहे.
गत वर्ष अगस्त,2019 में प्रसाद की सेवानिवृति से आज तक अर्थात गत 14 महीनो से प्रदेश के गृह सचिव का कार्यभार अतिरिक्त तौर पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को दिया जाता रहा है जोकि अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने बताया कि गत वर्ष अगस्त माह में 1984 बैच की तत्कालीन वरिष्ठ महिला आईएएस अधिकारी नवराज संधू , के पास चार महीनो अर्थात अगस्त, 2019 से लेकर नवंबर, 2019 तक राजस्व और आपदा प्रबंधन एवं चकबंदी विभाग के साथ साथ गृह विभाग का अतिरिक्त कार्यभार रहा. 30 नवंबर 2019 को संधू के रिटायर होने के बाद गृह विभाग के प्रशासनिक सचिव का चार्ज मुख्यमंत्री हरियाणा के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, जो 1988 बैच के आईएएस हैं, को अतिरिक्त कार्यभार के रूप के प्रदान किया गया. इसके एक माह बाद अर्थात दिसंबर,2019 के अंत में विजय वर्धन, जो उस समय केवल पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव थे उन्हें गृह विभाग का चार्ज अतिरिक्त कार्यभार के तौर पर दिया गया. वर्तमान में भी विजय वर्धन भी नवराज संधू की ही तरह राजस्व, आपदा प्रबंधन एवं चकबंदी और गृह दोनों भारी भरकम विभाग संभाल रहे हैं. इस प्रकार खट्टर सरकार के छः वर्षो में आज तक सात गृह सचिव रहे हैं हालांकि इस दौरान तीन मुख्य सचिव हुए.
हेमंत ने बताया कि हालांकि यह प्रदेश सरकार अर्थात मुख्यमंत्री का विवेकाधिकार है कि वह किस विभाग में किस उपयुक्त आईएएस अधिकारी को प्रशासनिक सचिव के रूप में तैनात करे, परन्तु यहाँ ध्यान देने योग्य है कि प्रदेश सरकार का गृह विभाग, जो न केवल एक भारी भरकम बल्कि अति संवेदनशील विभाग भी होता है, अत: ऐसा विभाग किसी वरिष्ठ आईएएस को अतिरिक्त कार्यभार के रूप में नहीं अपितु मुख्य चार्ज के रूप में अर्थात पूर्णकालीन रूप में प्रदान किया जाना चाहिए. ऐसा संभवत: आज तक प्रदेश की किसी सरकार के शासनकाल में नहीं हुआ जब गृह विभाग किसी आईएएस अधिकारी को अतिरिक्त कार्यभार के रूप में इतने महीनो तक दिया जाता रहा हो.
जहाँ तक प्रशासनिक स्तर पर हरियाणा के गृह विभाग का विषय है, हेमंत ने बताया की इनमे गृह (पुलिस) के अलावा जेल विभाग, क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन (गुप्तचर). विभाग और न्याय प्रशासन विभाग भी आते हैं. अब गृह विभाग तो अनिल विज के पास है जबकि जेल विभाग निर्दलयी विधायक एवं कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह चौटाला के पास है जबकि न्याय-प्रशासन विभाग एवं गुप्तचर विभाग दोनों मुख्यमंत्री के पास है. हालांकि यह भी देखने लायक होगा कि क्या अगले गृह सचिव की तैनाती में प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज से परामर्श किया जाता है अथवा नहीं ?