विकेश शर्मा
चंडीगढ़ - हरियाणा के राजकीय (सरकारी ) कॉलेजो में कार्यरत वरिष्ठ लेक्चरर, जिन्हे कई वर्षो पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर का पदनाम दिया गया, कानूनी एवं आधिकारिक रूप में हरियाणा सरकार के क्लास वन अर्थात ग्रुप ए अधिकारी नहीं है क्योंकि आज तक इन पर लागू होने वाले सेवा नियमो में इनके ग्रुप बी वर्ग का ही होने का उल्लेख है.
इसी कारण इनमें से कईयों द्वारा बीते माह 9 अगस्त 2020 को हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी ) द्वारा नॉन-एचसीएस से आईएएस चयन प्रक्रिया के अंतर्गत शॉर्टलिस्टिंग हेतू आयोजित स्क्रीनिंग परीक्षा में शामिल होने पर भी गंभीर प्रश्न चिन्ह उत्पन्न होता है चूँकि इस चयन प्रक्रिया में केवल राज्य सरकार के ग्रुप ए अधिकारियों ही योग्य हैं जिनकी न्यूनतम आठ वर्ष की नियमित क्लास वन सेवा हो चुकी हो.
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने इस विषय पर बीते माह 10 अगस्त को हरियाणा के उच्च शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अंकुर गुप्ता और विभाग के महानिदेशक अजित बालाजी जोशी आदि को अलग अलग ईमेल याचिकाएं भी भेजी थी जिसके जवाब में बीती 4 सितम्बर को एक पत्र मार्फ़त उन्हें सूचित किया गया है कि उनके द्वारा नॉन-एचसीएस से आईएएस चयन प्रक्रिया में कॉलेज प्रोफेसरों की योग्यता पर जो सवाल उठाये गए एवं जो यह बताया गया है कि उनके सेवा नियमो में संशोधन अभी तक नहीं हुआ है, इस सम्बन्ध में मिसल (फाइल ) सेवा नियमों में संशोधन हेतू मुख्यमंत्री महोदय को प्रस्तुत कर दी गयी है.
इससे यह पूर्णतया स्पष्ट हो गया है कि उक्त चयन प्रक्रिया के लिए जिन सरकारी कालेजो के प्रोफेसरों के नाम उच्च शिक्षा विभाग के प्रशासनिक सचिव द्वारा न्यूनतम 8 वर्षो की नियमित ग्रुप ए सेवा के रूप में प्रमाणित कर एचपीएससी को भेजे गए थे, वह सभी इस परीक्षा एवं चयन प्रक्रिया में शामिल होने योग्य ही नही हैं एवं इस कारण इस परीक्षा में उनकी उम्मीदवारी भी रद्द हो सकती है. बहरहाल, हाई कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण फिलहाल उक्त चयन प्रक्रिया पर स्टे लगा हुआ है.
इस विषय पर और जानकारी देते हुए हेमंत ने बताया 34 वर्ष पूर्व वर्ष अप्रैल,1986 में हरियाणा एजुकेशन राजकीय कॉलेज कैडर के ग्रुप ए और ग्रुप बी सेवा नियम बनाये गए थे जोकि क्रमशः मुख्य रूप से प्रदेश के राजकीय कॉलेजो के प्रिंसिपलों और लेक्चररो के सम्बन्ध में लागू होते हैं जिसमे आज तक समय समय पर संशोधन किया जाता रहा है. उपरोक्त ग्रुप ए सेवा नियमो में कॉलेज प्रिंसिपलों के अलावा प्रदेश उच्च शिक्षा निदेशालय में कार्यरत जॉइंट एवं डिप्टी डायरेक्टर का भी उल्लेख है जबकि ग्रुप बी सेवा नियमो में कॉलेज लेक्चररो के अलावां निदेशालय के अस्सिस्टेंट डायरेक्टर का उल्लेख है.
उन्होंने बताया कि हालांकि आज से ठीक दस वर्ष पूर्व 10 अगस्त, 2010 को तत्कालीन भूपिंदर हूडा कैबिनेट द्वारा राजकीय कॉलेजो के वरिष्ठ कॉलेज लेक्चररो अर्थात जो तत्कालीन पे- बैंड तीन में आते थे और जिनकी ग्रेड पे 7000 रुपये थी उन्हें एचईएस -1 अर्थात हरियाणा एजुकेशन सर्विस क्लास वन का दर्जा देने का निर्णय लिया जिसके सम्बन्ध में 7 अक्टूबर 2010 को हरियाणा उच्चतर शिक्षा विभाग की तत्कालीन वित्तायुक्त एवं प्रशासनिक सचिव सुरीना राजन, आईएएस द्वारा एक नोटिफिकेशन भी जारी की गयी जिसमे यह उल्लेख है कि ग्रुप बी सेवा नियमो में आने वाले उक्त कॉलेज लेक्चररो का एचईएस -1 का दर्जा मिलेगा परन्तु इसके बावजूद यह स्पष्ट किया गया वह कोई लाभ/सुविधाएं, उच्च वेतनमान आदि क्लेम नहीं करेंगे और साथ ही उनके कार्यो और जिम्मेदारियों में भी इसके दृष्टिगत कोई परिवर्तन नहीं होगा एवं वो अपने उच्च अधिकारियों के अधीनस्थ पूर्ववत की भाँति वैसे ही कार्य करते रहेंगे जैसे वह पहले करते रहे हैं. इस नोटिफिकेशन में यह भी स्पष्ट उल्लेख हैं कि इस सम्बन्ध में हरियाणा एजुकेशन (कॉलेज कैडर) ग्रुप बी सेवा नियम,1986 और हरियाणा एजुकेशन (कॉलेज कैडर) ग्रुप ए सेवा नियम,1986 में अलग अलग तौर पर उपयुक्त संशोधन कर दिया जाएगा.
इस सम्बन्ध में हेमंत ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि वर्ष 2014 में जब प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस (एचसीएमएस) कैडर के मेडिकल ऑफिसर्स (जूनियर डॉक्टरों ) को ग्रुप ए अर्थात क्लास वन का दर्जा दिया गया तो इसके लिए उनके पुराने वर्ष 1978 सेवा नियमो को समाप्त कर उन्हें भी जुलाई,2014 में बनाये गए नए एचसीएमएस ग्रुप ए सेवा नियमो में शामिल किया गया जिसके बाद ही उन्हें ऐसा दर्जा प्राप्त हो सका.