बलबीर सीनियर के करियर के लाखों किस्से रहे जो युवाओं को मोटिवेट करते रहेंगे, लेकिन दुख है कि अब वो किस्से सुनाने के लिए वो नहीं रहे। बलबीर सिंह सीनियर का देहांत फोर्टिस अस्पताल में लंबी बिमारी के कारण हो गया। कुछ समय पहले 108 दिन उन्होंने पीजीआई में बिताए और वे वहां से जीत कर घर लौटे। लेकिन ये पहला मौका था कि वे हार गए। वे हारे और देश ने अपना एक बड़ा और चमकता हुआ सितारा खो दिया। वे देश के सबसे बड़े खिलाड़ी के साथ साथ दुनियां के बेस्ट सेंटर फॉरवर्ड थे, जिसका रिकॉर्ड आज भी कायम है। मॉर्डन हॉकी का कोई भी खिलाड़ी उनके रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाया है। ये रिकॉर्ड उन्होंने 1952 ओलंपिक में गोल्ड जीतकर कायम किया था। उन्होंने फाइनल में 6 में से 5 गोल मारे थे और उनका ये रिकॉर्ड आज भी गिनीज बुक में कायम है।