हरियाणा की पावन धरती आज एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक क्षण की साक्षी बनी, जब 'सरबंसदानी' दशम पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज और माता साहिब कौर जी के 'पवित्र जोड़ा साहिब' की ‘चरण सुहावे गुरु चरण यात्रा’ का फरीदाबाद में भव्य स्वागत किया गया। श्रद्धा, भक्ति और एकता का यह अनुपम संगम शहर के प्रत्येक कोने में दिखाई दिया।
इस स्वागत कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने शिकरत की। मुख्यमंत्री ने फरीदाबाद के एनआईटी-5 स्थित श्री गुरु दरबार साहिब गुरुद्वारा में "चरण सुहावे गुरु चरण यात्रा" का स्वागत किया। श्री नायब सिंह सैनी ने यात्रा के साथ चल रहे केंद्रीय मंत्री सरदार हरदीप सिंह पुरी का हरियाणा आगमन पर स्वागत किया। उन्होंने श्री गुरु दरबार साहिब गुरुद्वारा में साध- संगत और यात्रा की अगवानी करने वाले पंज प्यारों का भी पटका ओढ़ा कर सम्मान किया। मुख्यमंत्री ने यात्रा की रवानगी से पहले गुरुद्वारा में मत्था टेका और अरदास सुनी। इसके उपरांत उन्होंने पवित्र जोड़ा साहिब के भी दर्शन किए। इससे पहले हरियाणा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य सरदार रविंदर सिंह राणा, श्री गुरु दरबार साहिब गुरुद्वारा के प्रधान सरदार इंदर जीत सिंह व सिख समाज के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कहा कि दिल्ली से आरंभ होकर बिहार स्थित तख्त श्री हरमंदिर जी पटना साहिब तक जाने वाली इस महान यात्रा का पहला विश्राम स्थल फरीदाबाद रहा। दिल्ली का प्रवेश द्वार कहे जाने वाला यह शहर आज गुरु चरणों की धूल से पावन हो उठा है। जिस नगर में गुरु के पवित्र चरण रुकें, वह नगर अपने आप ही तीर्थ बन जाता है, और आज फरीदाबाद, लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक महान तीर्थ स्थल बन चुका है। उन्होंने इस यात्रा के आयोजन के लिए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और इस यात्रा के आयोजकों का आभार व्यक्त किया।
गुरु गोबिंद सिंह जी: त्याग, वीरता और न्याय के प्रतीक
श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि आज जब यह पवित्र जोड़ा साहिब यहाँ पहुँचा है तो दशमेश पिता का सम्पूर्ण तेज, त्याग और बलिदान हमारे बीच साकार हो उठा है। उन्होंने धर्म, राष्ट्र और मानवता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने मुगल अत्याचार के विरुद्ध बलिदान दिया। उन्होंने अन्याय से लड़ने के लिए एक साधारण मनुष्य को खालसा बनाया, एक ऐसी शक्ति बनाया जिसका संकल्प धर्म की रक्षा और निर्बलों की सहायता करना था। यह जोड़ा साहिब हमें उनकी उस महान प्रतिज्ञा की याद दिलाता है कि "सवा लाख से एक लड़ाऊँ, तबै गोबिंद सिंह नाम कहाऊँ।" यह प्रतिज्ञा केवल युद्ध की नहीं थी, बल्कि आत्म-सम्मान, साहस और न्याय की थी, जो आज भी हर भारतीय के लिए जीवन का मूल मंत्र है। उन्होंने कहा कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने चारों पुत्रों का बलिदान दिया ताकि देश के अन्य पुत्र-पुत्रियाँ सुरक्षित रह सकें।
माता साहिब कौर जी: करुणा और शक्ति की प्रतिमूर्ति
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस यात्रा में माता साहिब कौर जी का भी पवित्र जोड़ा साहिब शामिल है। माता साहिब कौर जी को खालसा पंथ की माँ होने का गौरव प्राप्त है। जब गुरु जी ने खालसा पंथ की स्थापना की, तो उन्होंने माता साहिब कौर जी से 'अमृत' में पताशे डलवाए, ताकि खालसा के अनुयायियों में वीरता के साथ-साथ मिठास और करुणा भी बनी रहे।
'चरण सुहावे' यात्रा दिल्ली से पटना साहिब तक आध्यात्मिक सेतु
श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि यह 'चरण सुहावे' यात्रा दिल्ली, जो भारत की राजधानी है, और पटना साहिब, जो गुरु गोबिंद सिंह जी की जन्मभूमि है, के बीच एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक सेतु का निर्माण कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार, गुरुओं के दिखाए मार्ग पर चलने और उनके बलिदान को चिरस्थायी बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। सरकार ने श्री गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश वर्ष, श्री गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का 350वां प्रकाश पर्व को भव्य रूप से मनाने का काम किया। इसके अलावा, जिस भूमि पर श्री गुरु नानक देव जी ने 40 दिन रहकर तपस्या की, उस भूमि को सरकार ने सिरसा स्थित गुरुद्वारा श्री चिल्ला साहिब को दी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस को राज्यभर में श्रृद्धा और सम्मान के साथ मनाएगी। 1 नवंबर से लेकर 24 नवंबर तक हरियाणा प्रदेश के चारों कौनों से चार यात्राएं निकलेंगी, जिनका समापन 25 नवंबर को कुरुक्षेत्र की पवित्र भूमि, जहाँ समय-समय पर गुरुओं के चरण कमल पड़े, उस स्थान पर होगा। इसे लेकर सरकार ने व्यापक कार्य-योजना बनाई है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में एक प्रस्ताव पास किया है। इसके तहत ऐसे 121 परिवारों के एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का प्रावधान किया गया जिनके किसी सदस्य की जान 1984 के दंगों में चली गई थी। इस निर्णय पर मंत्रिमंडल ने भी अपनी सहमति की मुहर लगाई है, जो सिख समाज के प्रति सम्मान और संवेदना का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा जहां एक ओर गुरु परंपरा की याद दिलाती है, वहीं दूसरी ओर भारत की एकता, साहस और करुणा के मूल्यों को सशक्त बनाती है।
इस अवसर पर पूर्व मंत्री एवं विधायक श्री मूल चंद शर्मा, श्रीमती सीमा त्रिखा, बावल से विधायक डॉ. कृष्ण कुमार, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार श्री राजीव जेटली, फरीदाबाद की मेयर प्रवीण बत्रा जोशी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।