हरियाणा के विकास एवं पंचायत मंत्री श्री कृष्ण लाल पंवार ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर एक महान शासक, योद्धा और समाजसेवी थीं जिन्होंने अपने शासनकाल में अपने समस्त मालवा क्षेत्र को समृद्धि और सुरक्षा प्रदान की। उनकी जयंती के अवसर पर, हम उनके जीवन और योगदानों को याद करते हैं और उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लेते हैं।
विकास पंचायत मंत्री श्री कृष्ण लाल पंवार शनिवार को जिला अंबाला में लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की जयंती पर आयोजित गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि नागरिकों को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर एक महान शासक, योद्धा और समाजसेवी थीं जिन्होंने अपने शासनकाल में अपने समस्त मालवा क्षेत्र को समृद्धि और सुरक्षा प्रदान की। उनकी जयंती के अवसर पर, हम उनके जीवन और योगदानों को याद करते हैं और उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लेते हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा और संस्कृति को बढ़ावा देते हुए अहिल्याबाई होलकर ने कई हिंदू मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण करवाया और शिक्षा और संस्कृति को बढ़ावा दिया, उन्होंने सती प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई और लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने का साहसिक कार्य किया, अहिल्याबाई होलकर ने अपने क्षेत्र में सडक़ निर्माण और जल संरक्षण के बुनियादी ढांचे पर जोर दिया और स्थानीय हथकरघा उद्योग का विकास किया।
पंचायत मंत्री ने कहां कि वह सभी से आग्रह करते हैं कि वे लोकमाता अहिल्याबाई होलकर जयंती समारोह में शामिल हों और उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लें। आइए, हम सब मिलकर उनके दिखाए मार्ग पर चलकर समाज के विकास में योगदान दें।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के मार्गदर्शन में लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की जयंती को अलग-अलग कार्यक्रमों के माध्यम से मनाने का काम किया जा रहा हैं। प्रदेश सरकार ने महापुरुषों की जयन्तियों को सरकारी तौर पर मनाकर उन्हें मान-सम्मान देने का काम किया हैं।
इस मौके पर पूर्व राज्यमंत्री असीम गोयल ने कहा कि आज से लगभग 300 वर्ष पूर्व जब महिलाओं का घर से बाहर निकलना भी मुश्किल होता था उसे समय अहिल्याबाई ने घर से बाहर निकल कर पढ़ाई की और उसके उपरांत राज्य की व्यवस्था संभाल कर एक कुशल प्रशासक के रूप में अंत्योदय के सिद्धांत पर चलते हुए एक कुशल प्रशासक के रूप में राज किया जिसमें सर्व समाज के लोग खुशी-खुशी रहते थे।