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केवल नारी ही नहीं, समस्त मानव समाज के लिए प्रेरणापुंज हैं अहिल्याबाई होल्कर का जीवन:मनोहर लाल, सांसद एवं केंद्रीय मंत्री

May 29, 2025 05:11 PM
भारतीय इतिहास में अनेक वीरांगनाओं ने अपने साहस, नेतृत्व और परोपकार से अमिट छाप छोड़ी है। इन महान नारियों में एक दिव्य नाम है – देवी अहिल्याबाई होल्कर। वह केवल एक सफल शासिका ही नहीं, बल्कि धर्म, सेवा, न्याय और नारी सशक्तिकरण की प्रतिमूर्ति थीं। उनकी जीवन गाथा केवल नारी के लिए ही नहीं, बल्कि समस्त मानव समाज के लिए एक प्रेरणापुंज है। यहां तक कि उनके द्वारा स्थापित किए गए आदर्श वर्तमान केन्द्र सरकार और भाजपा शासित राज्य सरकारों के लिए व्यवस्था सुधार में मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहे हैं। यह भाजपा की पंरपरा है कि सबको समान अवसर देने की नीति पर काम हो। नारी हमारे देश में पूज्यनीय है। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः, यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः। हमारे देश में नारी सरस्वती भी है और दुर्गा भी है। नारी प्रेरणा भी है और राह भी है। 
मेरे जीवन में मेरी मां ने मुझे इस राह पर बढ़ने का हौंसला दिया, तो देवी आहिल्याबाई होल्कर के जीवन से प्रेरित होकर एक राजनेता और जनसेवक के रूप में मैंने अनेक निर्णय लिए। अहिल्याबाई के आदर्श आत्मबल प्रदान करते हैं। मुझे राजनीति के माध्यम से जनसेवा का मौका मिला तो नारी सशक्तिकरण के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहा।   समाज उत्थान में जो महिलाएं अपनी भूमिका निभा रही हैं उनको सम्मान दिया और उन गरीब महिलाओं को सशक्त किया, जो आगे आकर अपने परिवार और समाज के लिए कुछ करना चाहती थी। मैंने हरियाणा में अपने मुख्यमंत्री काल के दौरान देवी अहिल्याबाई की नीतियों और लोकतंत्र के मूल्यों को सदैव महत्व दिया है। आज भी वर्तमान मुख्यमंत्री इस परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं। बेटी-बचाओ-बेटी-पढ़ाओ अभियान में हमारा प्रदेश अग्रणी रहा। अन्य राज्यों ने हमारा अनुसरण किया। हम देवी अहिल्याबाई होल्कर के आदर्शों को आत्मसात करके नारी सशक्तिकरण की तरफ बढ़े। पुरूषों के साथ महिलाओं को भी स्वामित्व योजना के अंतर्गत स्वामित्व पत्र जारी किए। स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देकर नारी स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाकर अपने कर्तव्य का पालन किया। अहिल्याबाई होल्कर के आदर्शों, मूल्यों को दस साल की सरकार में नीतियों के माध्यम से लागू करने का साहस किया, तो सुखद अनूभूति होती है। परिवार पहचान पत्र में जब मुखिया के कॉलम में अधिकांश महिलाओं का नाम दिखाई देता है तो महसूस होता है कि देवी अहिल्याबाई के संघर्ष को सम्मान देने का काम किया गया है। हमारा विश्वास समभाव और सदभाव से सरकार चलाने में रहा है। भेदभाव हमारे शब्दकोष में नहीं है। यही कारण है कि पिछले दस साल की सरकार में लोगों में सामाजिक सुरक्षा की भावना बढ़ी है।          
              31 मई 1725 को महाराष्ट्र के चौंडी गाँव (अहमदनगर ज़िला) में एक साधारण कृषक परिवार में जन्म लेने वाली देवी अहिल्याबाई होल्कर तत्कालिक परिस्थितियों में इस देश को जीवन के मूल्य सीखा गईं।  मंकोजी राव शिंदे की पुत्री बचपन से ही अत्यंत बुद्धिमान, धार्मिक और संवेदनशील थीं, जिसका हम सबको अनुसरण करना चाहिए। मात्र 10 वर्ष की आयु में उनका विवाह मालवा के शासक मल्हारराव होल्कर के पुत्र खंडेराव होल्कर से हुआ था। इतनी छोटी उम्र में विवाह के बावजूद भी उनका समाजिक कार्यों के प्रति समर्पण और उनकी नीति हमें शासन के नियम सिखाती है। 
           विपरित परिस्थितियों में भी जीवन का रास्ता निकल सकता है, यह बात उनके जीवन से हमें सीखने का मिलती है,  क्योंकि जब उनके पति खंडेराव की मृत्यु युद्ध के दौरान हो गई और कुछ समय पश्चात ही उनके ससुर मल्हारराव और युवा पुत्र मालेराव का भी देहांत हो गया,  तब भी अहिल्याबाई ने हार नहीं मानी और लगातार अपने संधर्ष से बेहतर परिस्थितियों का निर्माण किया। उन्होने केवल अपने को ही नहीं संभाला बल्कि अपने को इस काबिल बनाया कि समाज उत्थान के भी कार्य कर सके। आज के दौर में युवाओं, छात्राओं, महिलाओं और पुरूषों के लिए भी यह प्रेरणादायक है। कष्ट झेलें, पर टूटना नहीं, परिस्थितियां चाहे जितनी प्रतिकूल हों, पर मुड़ना नहीं। 
1767 ईस्वी में उन्होंने इंदौर राज्य की बागडोर अपने हाथों में ली। एक नारी राज्य का प्रतिनिधित्व इतनी कुशलता से कर सकती है, देवी अहिल्याबाई ने यह साबित करके दिखाया।
शासन नहीं, सुशासन की परिभाषा उनके नेतृत्व में ही गढ़ी गई। 
भाजपा इसी सुशासन की पैरोकार है। देवी अहिल्याबाई का शासनकाल भारत के इतिहास में ‘स्वर्ण युग’ माना जाता है। उन्होंने राज्य में न्याय, धर्म, और सेवा को शासन का मूल बनाया। हमने पिछले दस सालों में यह मापदंड स्थापित किया कि राजनीति सेवा का माध्यम है। वीआईपी कल्चर को एक झटके में समाप्त करके आम और खास का भेद ही समाप्त कर दिया। देवी अहिल्याबाई ने प्रशासन में पारदर्शिता रखी,स्वयं न्यायालय में बैठकर जन सुनवाई की, नगर स्वच्छता के लिए सख्त नियम बनाए और हिसाब में त्रुटि पाए जाने पर अपने पति तक को अर्थदंड देने का साहस दिखाया। भाजपा शासित राज्यों में सर्वप्रथम इन्ही आदर्शों को निभाने का प्रण लिया। पारदर्शिता से शासन चलाया, इसलिए तीसरी बार केन्द्र में और हरियाणा में सरकार बनाई। हरियाणा में तबादलों की प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी से लागू करने के लिए ठोस कदम उठाए, तो सरकारी सेवाओं में भ्रष्टाचार के तंत्र को नष्ट करने का काम भी किया। भाई-भतीजावाद पर चोट करके बिना पर्ची और बिना खर्ची के रिकार्ड नौकरियां देने का काम करने की हिम्मत और परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) जैसी जीवन को सुगम और व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की कार्यप्रणाली विकसित करने का जज्बा हमारे अंदर आया तो वह इन आदर्शों और नीतियों का अनुसरण करके ही आया। पीपीपी से अनेक ऐसी योजनाओं को धार मिली, जो अंत्योदय की भावना को ध्यान में रखकर चलाई गई। हरियाणा में अब पीपीपी पात्र व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने वाली सबसे सफल कार्यप्रणाली साबित हो रही है।
शासन में महिलाओं की हिस्सेदारी अप्रत्याशित तौर पर बढ़ी। 
            अहिल्याबाई ने अपने निजी धन से राजकोष का उपयोग किए बिना देशभर में धार्मिक और सामाजिक निर्माण कार्य कराए। मैं उसी मार्ग पर चलने का प्रयत्न करता हूं। अपने पैतृक घर को पुस्तकालय में तब्दील करने का ख्याल ऐसे ही मूल्यों की प्रेरणा स्वरूप आया। लिंगानुपात में प्रदेश की बदतर स्थिति को बेहतर स्थिति में बदला है।  
अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण, रामेश्वरम्, बद्रीनाथ, द्वारका, गंगा घाट, कुएं, बावड़ियाँ, धर्मशालाएं, गौशालाएं, पाठशालाएं बनवाईं। हमने प्रदेश में बेटियों के लिए हर 20 किलोमीटर में एक कॉलेज खोलकर नारी शिक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई।  यह संतोष होता है कि रीति और नीति पर चलने वाली भाजपा संस्कारों से बंधी पार्टी है।
 देवी अहिल्याबाई का मानना था – "सच्चा धर्म पूजा-पाठ नहीं, बल्कि मानव सेवा है। "अहिल्याबाई ने उस युग में महिलाओं की सेना गठित की। उन्हें युद्ध कला, घुड़सवारी, शस्त्र संचालन सिखाया। भाजपा सरकार ने पुलिस में 15 प्रतिशत भागीदारी तथा सरकारी सेवाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाकर देवी अहिल्याबाई के जुझारू जीवन के प्रति समर्पण भाव रखा है। 
जब पेशवा राघोबा ने इंदौर पर चढ़ाई की योजना बनाई, तब अहिल्याबाई ने ललकार कर कहा था, "मुझे केवल महिला मत समझना, जब मैं भाला लिए खड़ी होऊंगी, तब पुरुष होना ही तुम्हारी सबसे बड़ी चुनौती बन जाएगा।" होल्कर का यह साहस और आत्मबल आज भी नारी सशक्तिकरण का प्रतीक है। 
इसी क्रम में जनसेवा के अवसर को भुनाने के प्रयास मैंने प्रदेश के मुखिया रहते किए। प्रदेश में स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी देकर आधी आबादी को सबल बनाने का काम देवी अहिल्याबाई के पदचिन्हों का अनुसरण करते हुए हमने किया। प्रदेश भर में 30 से अधिक महिला थाने खोले। महिला अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें गठित की। 
            देवी अहिल्याबाई बचपन से ही अन्न को सबसे मूल्यवान मानती थीं, इसलिए उन्होंने किसानों के लिए भूमि सुधार किए, अनुचित मालगुज़ारी बंद की, भू-दान और सिंचाई योजनाएं चलाईं और हमेशा कोशिश की कि कोई भूखा न रहे। देवी अहिल्याबाई को भगवान शिव की अनन्य भक्त माना जाता है। वे कहती थीं  "मैं शिव का यंत्र हूं और मेरे कर्म धर्म का माध्यम हैं"। उन्होंने कर्म क्षेत्र को ही धर्म क्षेत्र बना दिया और एक क्षत्राणी होकर भी साध्वी जैसा जीवन जिया। भाजपा सरकार महिला किसानों को विशेष अनुदान, ड्रोन प्रशिक्षण, व्यवसायिक खेती को प्रोत्साहन  अहिल्याबाई के आदर्शों को आत्मसात करके ही कर दे पाई है। गरीब परिवारों को मुफ्त अनाज योजना का भी मकसद यही रहा कि कोई भूखा ना सोए। 
         देवी अहिल्याबाई का जीवन वर्तमान में भी प्रासंगिक है। उनका जीवन मिशाल है।    भारत सरकार ने 1996 में उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया। उनके नाम पर अहिल्याबाई पुरस्कार, कई विद्यालय, विश्वविद्यालय, एयरपोर्ट (इंदौर) और स्मारक स्थापित किए गए हैं। हम हरियाणा प्रदेश में महिलाओं के सम्मान हेतू सुषमा स्वराज पुरस्कार योजना भी लेकर आए। देवी अहिल्याबाई होल्कर का जीवन इस बात का प्रमाण है कि एक नारी, चाहे जितने भी दुखों से गुज़रे, अगर उसमें सेवा, साहस और धर्म के प्रति निष्ठा हो तो वह न केवल एक राज्य, बल्कि पूरे राष्ट्र की दिशा बदल सकती है। नारी शिक्षित और संस्कारित हो तो तीन परिवार सुधर जाते हैं। आज की पीढ़ी, विशेषकर युवतियां और छात्राएं देवी अहिल्याबाई होल्कर के जीवन से त्याग, आत्मबल, नेतृत्व और सेवा की प्रेरणा ले सकती हैं। उनका जीवन एक प्रकाश स्तंभ है, जो हमें बताता है कि नारी केवल अबला नहीं, बल्कि जगजननी, धर्मरक्षिणी और राष्ट्र निर्माता भी होती है। भाजपा का यह प्रण है कि अहिल्याबाई के आदर्शो का अनुसरण करके देश और प्रदेश को सुशासन के स्वर्णिम काल में लेकर जाए और विकसित भारत का निर्माण करें।
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