चार दिवसीय इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल का आज पंचकूला के सेक्टर-5 में विधिवत शुभारंभ हुआ। समारोह का पहला दिन छात्रों, युवाओं और विज्ञान में रुचि रखने वाले लोगों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक रहा। भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अपने बीच पाकर बच्चे उत्साह से भर उठे।
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अपने अंतरिक्ष मिशन के अनुभव साझा करते हुए कहा कि अंतरिक्ष से भारत का दृश्य अद्भुत दिखाई देता है और हमारा देश “सारे जहाँ से अच्छा” प्रतीत होता है। उन्होंने बताया कि लगभग 20 दिन की अपनी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान उन्होंने अनेक वैज्ञानिक प्रयोग किए और गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाईं, जो भारत की मानव अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय जोड़ेंगी। इसके अलावा उन्होंने भारत-केंद्रित भोजन, दवाइयों और नवीन तकनीकों पर भी प्रयोग किए।
शुभांशु शुक्ला ने कहा कि भारत विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में तेज़ी से प्रगति कर रहा है और यह हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है कि देश इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है। उन्होंने युवाओं, विशेषकर बच्चों, से विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विकसित भारत 2047 के सपने को साकार करने की जिम्मेदारी युवाओं के कंधों पर है ।युवा आगे बढ़ेगा तो देश आगे बढ़ेगा।उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों में विज्ञान के प्रति बढ़ती रुचि उत्साहजनक है और अध्यापकों की भी जिम्मेदारी है कि वे बच्चों के एस्ट्रोनॉट बनने के सपनों को साकार करने में मार्गदर्शन दें।
इंटरैक्टिव सत्र के दौरान शुभांशु शुक्ला ने छात्रों और युवाओं के प्रश्नों के उत्तर दिए और उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया। उन्होने बताया कि जिस दिन वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से कहा था कि जल्द ही भारत से हमारा बेटा या बेटी अंतरिक्ष में जाएंगे। उस घोषणा ने उनके मन में अंतरिक्ष में जाने की प्रेरणा जागृत की थी। उसी दिन से उन्होंने इस दिशा में निरंतर प्रयास शुरू कर दिए। उन्होंने कहा परिस्थितियां कैसी भी हों मनुष्य को प्रयास करते रहना चाहिए सफलता एक न एक दिन अवश्य मिलती है।
एक छात्र द्वारा पूछे गए सवाल क्या केवल एयर फ़ोर्स में रहकर ही एस्ट्रोनॉट बना जा सकता है के उत्तर में उन्होंने बताया कि एक नया फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है जिसके तहत केवल एयर फ़ोर्स या आर्म्ड फोर्सेज ही नहीं, बल्कि अन्य क्षेत्रों से भी लोग एस्ट्रोनॉट बन सकेंगे।
उन्होंने कहा कि भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री विंग कमांडर राकेश शर्मा से मिली प्रेरणा ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचने की हिम्मत दी। उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले समय में भारत से और भी लोग अंतरिक्ष में जाएंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि भारत अब गगनयान मिशन पर गंभीरता से कार्य कर रहा है और सूर्य के अध्ययन के लिए मिशन आदित्य-L1 सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया जा चुका है।