चंडीगढ़: अमेरिका के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और यूनेस्को चेयर फॉर ग्लोबल हेल्थ एंड एजुकेशन के भारत के राष्ट्रीय प्रतिनिधि डॉ. राहुल मेहरा हरियाणा के स्कूलों में स्वास्थ्य शिक्षा को मजबूत कर एक क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं। 70 से अधिक पेटेंट और 100 से ज्यादा शोध पत्रों व किताबों के लेखक डॉ. मेहरा ने तरंग हेल्थ एलायंस नामक एक गैर-सरकारी संगठन की स्थापना की, जो स्कूलों में पोषण, शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक कल्याण को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाता है।
2024 में, तरंग ने हरियाणा सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत 12 सरकारी स्कूलों में यह नवोन्मेषी स्वास्थ्य शिक्षा पाठ्यक्रम शुरू किया गया। 2020 से, यह कार्यक्रम दिल्ली एनसीआर, चंडीगढ़ और जयपुर के 18 निजी स्कूलों में भी लागू हो चुका है, जिसे शिक्षक प्रशिक्षण, छात्र वर्कबुक, नवोन्मेषी शिक्षण सामग्री, माता-पिता की भागीदारी, नीतिगत समर्थन और लाल पैथ लैब्स फाउंडेशन के वित्तीय सहयोग से बढ़ावा मिला है।
डॉ. मेहरा ने कहा, “स्वास्थ्य शिक्षा भारत के स्वस्थ भविष्य की नींव है। भारत में औसत आयु 70 वर्ष है, जबकि जापान में यह 85 वर्ष है। हर चार में से एक भारतीय को मधुमेह और हर दस में से एक को हृदय रोग है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, खासकर युवाओं में, तेजी से बढ़ रही हैं। स्कूल वह महत्वपूर्ण समय है जब बच्चों में आजीवन स्वस्थ आदतें डाली जा सकती हैं, जिससे उनका कल्याण और शैक्षिक प्रदर्शन बेहतर हो।”
इसका एक प्रमुख उदाहरण फरीदाबाद का गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल (GGSSS), NIT-5 है, जिसे यूके स्थित T4 एजुकेशन द्वारा विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्कूल पुरस्कार 2025 के लिए ‘सपोर्टिंग हेल्दी लाइव्स’ श्रेणी में शीर्ष 10 फाइनलिस्ट में चुना गया है, क्योंकि इसने स्वास्थ्य-केंद्रित शिक्षा के जरिए जोखिमग्रस्त लड़कियों के जीवन को बदला है।
T4 एजुकेशन द्वारा कोविड-19 महामारी के बाद शुरू किए गए विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्कूल पुरस्कार उन स्कूलों को सम्मानित करते हैं जो छात्रों और समुदायों पर गहरा प्रभाव डालते हैं। विजेताओं की घोषणा अक्टूबर में होगी, और फाइनलिस्ट नवंबर में अबू धाबी में वर्ल्ड स्कूल्स समिट में अपनी कहानियां साझा करेंगे। तरंग का हरियाणा सरकार के साथ सहयोग पूरे राज्य और देश में इस मॉडल को अपनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है, जो यह साबित करता है कि छात्रों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने से शैक्षिक प्रदर्शन में सुधार होता है और पूरे भारत के स्कूलों को प्रेरणा मिलती है।