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Haryana

हरियाणा विधानसभा में शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन आठ विधेयक पास किए गए

December 22, 2025 05:58 PM

हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन आठ विधेयकों पर चर्चा उपरांत पास किए गए, जो विधेयक पास किए गए  उनमें हरियाणा विनियोग (संख्या 4) विधेयक, 2025, हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चिता) संशोधन विधेयक, 2025, हरियाणा आवास बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2025, हरियाणा निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2025, हरियाणा आबादी देह (स्वामित्व अधिकारों का निहितीकरण, अभिलेखन और समाधान) विधेयक, 2025, हरियाणा दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान (संशोधन) विधेयक, 2025, हरियाणा अनुसूचित सड़क और नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निर्बन्धन (संशोधन) विधेयक, 2025 और हरियाणा जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक,2025 शामिल हैं।

*हरियाणा विनियोग (संख्या 4) विधेयक, 2025*

यह अधिनियम हरियाणा विनियोग (संख्या 4) अधिनियम, 2025, कहा जाएगा। इस अधिनियम द्वारा हरियाणा राज्य की संचित निधि में से भुगतान की जाने और  उपयोग में लाई जाने के लिए प्राधिकृत राशियों का विनियोग उन्हीं सेवाओं और प्रयोजनों के लिए किया जाएगा, जो मार्च, 2026 के इकतीसवें दिन को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के सम्बन्ध में बताए गए हैं।

यह विधेयक भारत के संविधान के अनुच्छेद 204 (1) तथा 205 के अनुसरण में वित्त वर्ष 2025-26 के खर्च के लिए विधान सभा द्वारा किए गए अनुपूरक अनुदानों को पूरा करने के लिए हरियाणा राज्य की संचित निधि में से 5635,38,20,000 रुपये (केवल पांच हजार छः सौ पैतीस करोड़ अड़तीस लाख बीस हजार रुपये) की अपेक्षित राशि के विनियोग हेतु उपबन्ध करने के लिए पारित किया गया है।

 

*हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चितता) संशोधन विधेयक, 2025*

हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चितता) अधिनियम, 2024 को संशोधित करने के लिए हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चितता) संशोधन विधेयक, 2025 पारित किया गया।

‘‘हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चितता) अधिनियम, 2024’’ 16 जनवरी, 2025 को अधिसूचित किया गया। इस विधेयक के अंतर्गत सेवा की सुनिश्चितता का लाभ उन अतिथि संकाय सदस्यों को प्राप्त है, जिन्होंने 15 अगस्त, 2024 तक पाँच वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली है। अतिथि संकाय सदस्यों द्वारा धारा 3 (VII) की व्याख्या में संशोधन की माँग की गई है, जिसमें एक वर्ष की सेवा के दौरान 240 कार्य दिवसों की गणना कैलेंडर वर्ष के बजाय किसी भी एक वर्ष की अवधि के आधार पर करने का प्रावधान हो।

यदि किसी फैकल्टी की नियुक्ति मई से दिसंबर के बीच हुई हो, तो पहले कैलेंडर वर्ष में 240 दिन पूरे न होने के कारण ऐसे अतिथि संकाय सेवा वर्ष की गणना में शामिल नहीं होते। इसी प्रकार, वर्ष 2024 में भी केवल 227 दिन 1 जनवरी से 15 अगस्त तक ही होते हैं, जिससे यह वर्ष भी अर्हता में नहीं गिना जाता। परिणामस्वरूप, उनकी सेवा आवश्यक 240 दिनों की गणना में नहीं आ पाती। इसके अलावा, विधेयक की धारा 5 के खंड (1) में संशोधन की आवश्यकता है जो अतिथि संकाय को महंगाई भत्ते का लाभ देने से संबंधित है। वर्तमान प्रावधान की भाषा अस्पष्ट है और उसके एक से अधिक अर्थ निकल सकते है। अतः इसे निम्न प्रकार से संशोधित किया जाना उपयुक्त होगा।

‘‘अतिथि संकाय को, सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, समेकित मासिक वेतन प्रदान किया जा सकता है। यह समेकित मासिक वेतन प्रत्येक वर्ष की पहली जनवरी तथा पहली जुलाई से, महंगाई भत्ते में हुई वृद्धि के अनुसार, बढ़ाया जाएगा।’’ अतः अतिथि संकाय संघ द्वारा प्रस्तुत अनुरोध को संज्ञान में लेते हुए उपर वर्णित दोनों संशोधनों ‘‘हरियाणा तकनीकी शिक्षा अतिथि संकाय (सेवा की सुनिश्चितता) अधिनियम, 2024 में किया जाना उचित होगा।

*हरियाणा आवासन बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2025*

हरियाणा आवासन बोर्ड अधिनियम, 1971 को संशोधित करने के लिए हरियाणा आवासन बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया।

हरियाणा आवास बोर्ड अधिनियम, 1971 के तहत स्थापित, हरियाणा आवास बोर्ड, राज्य में आवास और संबंधित शहरी बुनियादी ढांचे के निर्माण में लगा हुआ है। समय के साथ, इसके संचालन संबंधी कार्य हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एच.एस.वी.पी.) के कार्यों के साथ अधिकाधिक रूप से ओवरलैप होते गए हैं जो आवास और नियोजित शहरी बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए वैधानिक ढांचे के अंतर्गत कार्य करता है।

प्रशासनिक प्रयासों के दोहराव को समाप्त करने, शहरी नियोजन एकीकरण में सुधार लाने और सेवा वितरण को बेहतर बनाने के लिए, मुख्यमंत्री ने हाउसिंग बोर्ड हरियाणा को भंग करने और एचएसवीपी में इसके विलय की घोषणा की। हालांकि, 1971 के अधिनियम की धारा 80 में विधायी प्रस्ताव और सरकारी अधिसूचना के माध्यम से बोर्ड को भंग करने की अनुमति है, लेकिन राज्य सरकार को भंग बोर्ड की संपत्ति, देनदारियों, कर्मचारियों और दायित्वों को एचएसवीपी या किसी अन्य उत्तराधिकारी निकाय को हस्तांतरित करने के लिए अधिकृत करने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। इस कानूनी अंतर को दूर करने तथा बोर्ड के सभी कार्यों, दायित्वों, कर्मचारियों, कानूनी दायित्वों और अनुबंधों के निर्बाध संक्रमण और उत्तराधिकार को सुनिश्चित करने के लिए हरियाणा आवास बोर्ड अधिनियम, 1971 की धारा 80 (2) को प्रतिस्थापित करने का प्रस्ताव है।

संशोधन के अनुसार - राज्य सरकार को विघटित बोर्ड की परिसंपत्तियों और कार्यों को एच.एस.वी.पी. या किसी अन्य स्थानीय प्राधिकरण या एजेंसी के साथ विलय करने के लिए कानूनी रूप से सशक्त बनाना; चल रहे मुकदमेबाजी और अनुबंधों की कानूनी उत्तराधिकार और प्रवर्तनीयता को स्पष्ट करना; प्रस्तावित संस्थागत पुनर्गठन को पूरा करने के लिए आवश्यक वैधानिक कवर प्रदान करना है।

 

*हरियाणा निजी विश्वविद्यालय, (संशोधन) विधेयक, 2025*

 

हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2006 को संशोधित करने के लिए हरियाणा निजी विश्वविद्यालय, (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया।

हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2006 एवं समय-समय पर किए गए संशोधनों की विभिन्न धाराओं का अवलोकन करने पर पाया गया कि धारा 34ए, 34बी, 44, 44 तथा 46 की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने हेतु संशोधन आवश्यक है।

कुछ विश्वविद्यालय ने धारा 34ए की उप-धारा (3) का दुरुपयोग करते हुए सरकार की पूर्व स्वीकृति के बिना ही नए पाठ्यक्रम प्रारंभ कर दिए गए, मौजूदा प्रवेश क्षमता बढ़ा दी तथा पाठ्यक्रमों का नामकरण बदल दिया है। इसलिए इस धारा में संशोधन आवश्यक है।

धारा 44 और 44ए में विश्वविद्यालय के विघटन और प्रशासक की नियुक्ति के लिए कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं की गई है। अतः इसमें संशोधन किया जाना आवश्यक है और विश्वविद्यालय के विघटन और प्रशासक की नियुक्ति की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए संशोधन द्वारा नई धारा 44बी को शामिल किए जाने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, धारा 46 के प्रावधानों को भी सुव्यवस्थित किया जाना आवश्यक है, ताकि जनहित में उनका विस्तार हो सके और उन्हें बेहतर ढंग से स्पष्ट किया जा सके। राज्य के युवाओं को उच्चतर शिक्षा में बेहतर अवसर प्रदान करने हेतु जिला गुरुग्राम में ‘‘डिजाइन, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय’’ स्थापित करने के उद्देश्य से एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है।

 

*हरियाणा आबादी देह (स्वामित्व अधिकारों का निहितीकरणअभिलेखन और समाधान) विधेयक, 2025*

किसी राजस्व सम्पदा की आबादी देह के क्षेत्र के भीतर अधिभोगी में स्वामित्व अधिकारों के निहितीकरण, अभिलेखन और समाधान तथा उससे सम्बन्धित या उसके आनुंशगिक मामलों के लिए उपबन्ध करने हेतु हरियाणा आबादी देह (स्वामित्व अधिकारों का निहितीकरण, अभिलेखन और समाधान) विधेयक, 2025 पारित किया गया।

चूंकि, हरियाणा राज्य में आबादी देह क्षेत्र स्वत्व धारियों के अधिकारों का अभिलेखन करने, अभिलेख तैयार करने या सर्वेक्षण द्वारा सीमाओं का चिह्नांकन नहीं किया गया है। अधिकार धारक, अपने जीवनकाल में भूमि या सम्पत्ति के उपयोग और अधिभोग का आनन्द लेते हैं और मृत्यु होने पर, कब्जे सहित अधिकार हितबद्ध उत्तराधिकारी को हस्तांतरित हो जाता है। तथापि, अनिलिखित अधिकारों के अभाव में अधिकारों, जैसे स्वामित्व, पट्टा, वसीयत, बंधक इत्यादि के हस्तांतरण में बहुत कठिनाई आती है। जिसके परिणामस्वरूप, वर्षों से आवास और अन्य क्षेत्रों में सीमाओं के सीमांकन और अधिकारों की पहचान के बारे में विवाद उत्पन्न हुए हैं, इसके अलावा, अधिकारों के प्रभावी हस्तांतरण में भी कठिनाई हो रही है।

चूंकि, आबादी देह में अधिभोगियों को स्वामित्व अधिकार प्रदान करने को ध्यान में रखते हुए भारतीय सर्वेक्षण विभाग और राज्य सरकार के बीच 8 मार्च, 2019 को सर्वेक्षण, सर्वेक्षण का अद्यतन करने और बन्दोबस्त प्रतिफल के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए थे। उसके पश्चात् 24 अप्रैल, 2020 को गांव सिरसी (करनाल) में एक पायलट परियोजना शुरू की गई थी, जिसमें अधिकारों के अभिलेख तैयार करने के प्रयोजनों हेतु क्षेत्र का नक्शा तैयार करने के लिए सर्वेक्षण किया गया था। तत्पश्चात, ग्रामीण आबादी का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में तात्कालिक तकनीक से नक्शा तैयार करने, जिसे संक्षिप्त रूप में स्वामित्व स्कीम के रूप में जाना जाता है, को ग्रामीण आबादी वाले क्षेत्रों में सम्पत्ति के स्पष्ट स्वामित्व की स्थापना के मामले में एक सुधारात्मक कदम के रूप में शुरू किया था। जिसे ड्रोन तकनीक का उपयोग करके भू खण्ड पार्सलों का नक्शा तैयार किया गया था और संपत्ति के स्वामियों को कानूनी स्वामित्व कार्ड अर्थात् स्वामित्व अधिकार प्रमाण-पत्र या संपत्ति पहचान अधिकार प्रमाण पत्र या प्रमाण पत्र या हक या स्वामित्व विलेख जारी करने के साथ गांव के घरों के स्वामियों को ‘‘अधिकारों का अभिलेख’’ प्रदान किया गया। उक्त स्कीम के अधीन आबादी देह क्षेत्र के भीतर भूमि का सीमांकन करने के लिए भारतीय सर्वेक्षण द्वारा हरियाणा राज्य में कई गांवों में व्यापक रूप से ड्रोन द्वारा नक्शा तैयार किया गया और हक विलेख निष्पादित किए गए और व्यक्तियों को आबादी देह क्षेत्रों में उनके द्वारा अधिभोग की गई भूमि के स्वामियों के रूप में घोषित करते हुए सम्पत्ति कार्ड जारी किए गए।

हरियाणा राज्य में आबादी देह क्षेत्रों में अधिकारों का अभिलेख तैयार करने के लिए कार्यान्वित की गई और भविष्य में कार्यान्वित किए जाने के लिए चाही गई सम्पूर्ण प्रक्रिया को वैधानिक मान्यता प्रदान करने के लिए उपयुक्त समझा गया। इस अधिनियम का उद्देश्य स्वामी के रूप में दर्ज किए जाने के लिए हकदार श्रेष्ठ व्यक्ति का पता लगाने की प्रक्रिया से आबादी देह के भीतर अधिभोगियों के मौजूदा अधिकारों को सुनिश्चित करना, दर्ज करना और निपटान करना तथा ऐसे व्यक्तियों में स्वामित्व अधिकार निहित करना; इसके अतिरिक्त प्रत्येक सर्वेक्षण इकाई की सीमाओं और क्षेत्र का परिसीमन, अवरेखन और इस प्रकार तैयार किए गए अभिलेखों में यद्यपि खण्डन योग्य हो, सत्य की परिकल्पना सृजित करना है।

इस अभिलेख की तैयारी से आबादी देह के विकास का प्रावधान होगा, जिससे यथासंभव गाँव की विरासत का संरक्षण किया जा सकेगा, गाँवों में नागरिक सुविधाओं एवं पर्यावरण का प्रावधान एवं उन्नयन किया जा सकेगा ताकि उन्हें नियोजित शहरी विकास के साथ एकीकृत किया जा सके, सामुदायिक विकास हेतु किसी उपकर या कर का अधिरोपण किया जा सके, ले-आउट में सुधार के माध्यम से भूमि मूल्य में वृद्धि की जा सके तथा गाँवों के लिए विकास मानदंडों की एक सरल एवं सुगम रूपरेखा उपलब्ध कराई जा सके और साथ ही अधिभोगियों को वित्तीय सहायता आदि प्राप्त कर संपत्ति के मुद्रीकरण में सुविधा प्रदान की जा सके।

*हरियाणा दुकान तथा वाणिज्यिक प्रतिष्ठान (संशोधन) विधेयक, 2025*

हरियाणा दुकान तथा वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 1958 को संशोधित करने के लिए हरियाणा दुकान तथा वाणिज्यिक प्रतिष्ठान (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया।

सरकार के उद्देश्यों के अनुरूप, सरकार के अनुपालन भार को कम करने, औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने और श्रम कानूनों को आधुनिक कार्य प्रथाओं के अनुरूप बनाने के उद्देश्य के अनुरूप, पंजाब दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों अधिनियम, 1958 की चयनित धाराओं की समीक्षा की गई है। प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य संचालन में लचीलापन बढ़ाना, बड़े प्रतिष्ठानों में श्रमिकों की बेहतर सुरक्षा और छोटे प्रतिष्ठानों के लिए सरल अनुपालन सुनिश्चित करना, पंजीकरण और शुल्क भुगतान पूरी तरह ऑनलाइन करना, श्रमिकों के कल्याण को सुदृढ़ करना और व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ावा देना है।

संशोधन के तहत अधिनियम की धारा 1 के अंतर्गत एक नया उप-खंड सम्मिलित करने का प्रस्ताव है जो उन दुकानों और प्रतिष्ठानों पर लागू होगा जिनमें बीस या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। बीस से कम कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठान केवल धारा 13क के तहत विनियमित होंगे। यह संशोधन बड़े प्रतिष्ठानों में श्रमिकों की बेहतर सुरक्षा और छोटे प्रतिष्ठानों के लिए सरल अनुपालन सुनिश्चित करेगा, मामूली उल्लंघनों के लिए अभियोजन का बोझ कम करेगा, जिससे संतुलित श्रम सुधार और व्यवसाय में आसानी को बढ़ावा मिलेगा। प्रभावी व्यावसायिक संचालन को बढ़ावा देने और बेहतर कार्य परिस्थितियों को सुनिश्चित करने हेतु, दुकानों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कार्य समय से संबंधित कुछ संशोधन भी प्रस्तावित हैं।

धारा 7 के तहत, दैनिक कार्य घंटे नौ से बढ़ाकर दस घंटे किए जाने का प्रस्ताव है, जबकि साप्ताहिक कुल सीमा 48 घंटे बनी रहेगी। धारा-7 के तहत, त्रैमासिक ओवरटाइम की अधिकतम सीमा 50 घंटे से बढ़ाकर 156 घंटे करने का प्रस्ताव है ताकि प्रतिष्ठान उच्च व्यावसायिक मांगों को कुशलतापूर्वक पूरा कर सकें। धारा-8 में लगातार कार्य का अधिकतम समय पाच घंटे से बढ़ाकर छः घंटे करने का प्रस्ताव है। धारा-13 को प्रतिस्थापित करने का प्रस्ताव है ताकि पंजीकरण और शुल्क भुगतान पूरी तरह ऑनलाइन, प्रक्रियाओं को सरल और अनुपालन को सहज बनाया जा सके। प्रतिष्ठान बंद होने की ऑनलाइन सूचना अनिवार्य होगी ताकि रिकॉर्ड सटीक रहें। बीस या अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठान निर्धारित सीमा पर पंजीकरण करेंगे, जबकि बीस से कम कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठान एक महीने के भीतर ऑनलाइन सूचना देंगे। अनुपालन न करने पर बढ़ाई गई दंड राशि जवाबदेही और प्रवर्तन को मजबूत करेगी।

उक्त अधिनियम की धारा 19 की उपधारा (3) में ‘‘भारतीय दंड संहिता की धारा 21’’ के स्थान पर ‘‘भारतीय न्याय संहिता, 2023 (केंद्रीय अधिनियम 45, 2023) की धारा 2(28)’’ का उल्लेख करने का प्रस्ताव है, जिससे अधिनियम को केंद्रीय कानून के अद्यतन प्रावधानों के अनुरूप बनाया जा सके।

धारा 20 की उप-धारा (6) को प्रतिस्थापित करने का प्रस्ताव है ताकि इसके प्रावधान को अपराधमुक्त किया जा सके और उल्लंघन के लिए जुर्माना बढ़ाया जा सके। इस संशोधन से मामूली उल्लंघनों के लिए अभियोजन का बोझ कम होगा और वित्तीय निवारक उपायों के माध्यम से अनुपालन बढ़ेगा। धारा 20क के अंतर्गत एक नया उप-खंड सम्मिलित करने का प्रस्ताव है ताकि सभी श्रमिकों को नियुक्ति पत्र प्रदान करना अनिवार्य हो। यह रोजगार की औपचारिकता सुनिश्चित करेगा, पारदर्शिता बढ़ाएगा और श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा करेगा। धारा 21 और 26 के तहत दंड राशि बढ़ाने का प्रस्ताव है। इससे उल्लंघनों के प्रति निवारक प्रभाव बढ़ेगा, नियोक्ताओं द्वारा समय पर अनुपालन सुनिश्चित होगा और कानूनी प्रवर्तन सुदृढ़ होगा, जिससे श्रमिकों की बेहतर सुरक्षा और प्रतिष्ठानों के सुचारू संचालन की सुविधा मिलेगी।

चूंकि हरियाणा विधान सभा का वर्तमान में सत्र में नहीं था एवं पंजाब दुकानों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों अधिनियम, 1958 में प्रस्तावित संशोधनों को लागू करने हेतु तत्काल विधायी कार्रवाई आवश्यक थी। संशोधन के माध्यम से किए गए सुधार राज्य सरकार की व्यापार करने में सुगमता पहल, छोटे रेगुलेटरी अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और श्रम कानूनों के आधुनिकीकरण के प्रयासों के अभिन्न अंग हैं। कार्यान्वयन में किसी भी प्रकार की देरी व्यापार सुगमता की गति और राज्य की राष्ट्रीय व्यापार करने में सुगमता मानकों के अनुपालन को प्रतिकूल रूप में प्रभावित करती। इसके अलावा, यह संशोधन काम के घंटों को तर्कसंगत बनाता है, डिजिटल रजिस्ट्रेशन प्रक्रियाएं शुरू करता है और जेल की सजा के प्रावधानों को हटाता है जो बिजनेस संस्थानों और मजदूरों दोनों की स्पष्टता, निश्चितता और राहत देने के लिए जरूरी है। इसलिए, जनहित में और प्रशासनिक या कानूनी खालीपन के बिना सुधार की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए, हरियाणा विधानसभा के सत्र का इंतजार करने के बजाय भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 (1) के तहत अध्यादेश जारी करना अनिवार्य था। अब इस विधेयक को हरियाणा विधानसभा के आने वाले सत्र में पेश किया गया।

*हरियाणा अनुसूचित सड़क तथा नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निर्बन्धन (संशोधन) विधेयक, 2025*

हरियाणा अनुसूचित सड़क तथा नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निर्बन्धन अधिनियम, 1963 को संशोधित करने के लिए हरियाणा अनुसूचित सड़क तथा नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निर्बन्धन (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया।

भारत सरकार द्वारा ‘‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’’ सुधारों को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी गई है, जिसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में नियामक ढांचे का सरलीकरण एवं प्रक्रियात्मक विलंब को कम करना है। इस पहल के अंतर्गत 23 प्राथमिक सुधार क्षेत्रों की पहचान की गई है, जिनमें से 8 नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग, हरियाणा से संबंधित हैं। इन सुधारों में भूमि उपयोग परिवर्तन की अनुमति प्रक्रिया का सरलीकरण, डिजिटलीकरण एवं संचालन शामिल है ताकि पारदर्शिता बढ़े और निवेशकों का विश्वास सुदृढ़ हो।

राष्ट्रीय उद्देश्यों के अनुरूप यह प्रस्ताव किया गया है कि अधिसूचित विकास योजनाओं में अनुरूप भूमि उपयोग क्षेत्रों के लिए ऑनलाइन स्व-प्रमाणन प्रणाली के अंतर्गत अनुमति दी जाए। यह प्रणाली पात्र आवेदकों को डिजिटल रूप से प्रस्तुत सूचना, दस्तावेज एवं घोषणा-पत्रों के आधार पर स्वचालित सत्यापन के माध्यम से ऑनलाइन अनुमति प्रदान करेगी। इससे प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी, मानवीय हस्तक्षेप कम होगा और राज्य में व्यवसाय करने की सुगमता में वृद्धि होगी।

इस सुधार को क्रियान्वित करने हेतु हरियाणा अनुसूचित सड़कें एवं नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निर्बन्धन अधिनियम, 1963 में आवश्यक संशोधन करना जरूरी है ताकि इसे विधिक आधार प्रदान किया जा सके। तदनुसार, संशोधन हेतु एक प्रारूप प्रस्ताव तैयार किया गया है जिसे मंत्रीपरिषद की स्वीकृति हेतु प्रस्तुत किया जाना प्रस्तावित है। उपर्युक्त परिवर्तनों को करने के लिए, हरियाणा अनुसूचित सड़कें और नियंत्रित क्षेत्र अनियमित विकास निषेध अधिनियम, 1963 की धारा 8 (1 और 2) में संशोधन आवश्यक है।

 

*हरियाणा जन विश्वास (उपबन्धों का संशोधन) विधेयक, 2025*

 

जीवन की सुगमता और कारोबार करने की सुगमता के लिए विश्वास आधारित शासन को और बेहतर बनाने हेतु अपराधों के निरापराधीकरण और सुव्यवस्थीकरण के लिए कतिपय अधिनियमितियों को संशोधित करने हेतु हरियाणा जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया।

भारत सरकार ने ‘‘जन विश्वास (उपबंधों में संशोधन) अधिनियम, 2023’’ अधिनियमित किया, जिसको 11 अगस्त,2023 को अधिसूचित किया गया। इस अधिनियम ने 19 मंत्रालयों/विभागों द्वारा प्रशासित 42 केंद्रीय अधिनियमों में 183 उपबंधों को अपराध मुक्त कर दिया, जो विभिन्न अधिनियमों में छोटे अपराधों को व्यवस्थित रूप से अपराध मुक्त करने वाला पहला समेकित कानून है।

अगस्त 2025 में, भारत सरकार ने ‘‘जन विश्वास (उपबंधों में संशोधन) अधिनियम, 2023’’ की सफलता के बाद लोकसभा में ‘‘जन विश्वास (उपबंधों में संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया, जिसमें 10 मंत्रालयों विभागों द्वारा प्रशासित 16 केंद्रीय अधिनियम शामिल हैं। कुल 355 उपबंधों में संशोधन का प्रस्ताव किया गया था, जिसमें से 288 उपबंधों को व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के लिए अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया और 67 उपबंधों में व्यापार करने में आसानी और जीवन जीने में आसानी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संशोधन का प्रस्ताव किया गया, जिसमें छोटे अपराधों को तर्कसंगत बनाया गया और कई कानूनों में कारावास के उपबंधों को मौद्रिक दंड से बदल दिया गया। इस अधिनियम ने प्रवर्तन-आधारित शासन से विश्वास आधारित शासन की ओर एक बड़ा बदलाव किया। इसके अलावा, भारत सरकार ने सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य स्तर पर छोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के लिए जन विश्वास अधिनियम, 2023 में बताई गई रणनीति की समीक्षा करने और उसे अपनाने की सलाह दी है। ‘‘हरियाणा जन विश्वास बिल, 2025’’ पेश करना चौथी चीफ सेक्रेटरी कॉन्फ्रेंस के मुख्य एक्शन आइटम में से एक है और भारत सरकार के कैबिनेट सेक्रेटेरिएट के चल रहे कंप्लायंस कम करने और डीरेगुलेशन एक्सरसाइज के तहत एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता है।

हरियाणा जन विश्वास (उपबंधों में संशोधन) विधेयक, 2025 को 17 विभागों के 42 राज्य कानूनों में 164 छोटे आपराधिक उपबंधों को कम करने के लिए पेश किया जा रहा है, जिसमें पुराने और बेकार क्लॉज को हटाया जाएगा, छोटी तकनीकी और प्रक्रियात्मक गलतियों के लिए सिविल पेनल्टी और प्रशासनिक कार्रवाई शुरू की जाएगी और दंडात्मक उपबंधों को खत्म करके छोटे और तकनीकी अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया जाएगा।

 

*हरियाणा जन विश्वास (उपबंधों में संशोधन) विधेयक, 2025 का मकसद निम्नलिखित उद्देश्यों को हासिल करना है:- *

1.       भरोसे पर आधारित गवर्नेंस और रेगुलेशन का बोझ कम करना; लोकतांत्रिक गवर्नेंस नागरिकों और संस्थानों पर भरोसा करने पर आधारित होनी चाहिए।

2.       ईज ऑफ लिविंग’ और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ सुधार; यह बिल सरकार के ‘‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’’ के बड़े एजेंडे के साथ जुड़ा हुआ है। इसका मकसद रेगुलेटरी सिस्टम को फिर से आकार देना है ताकि नागरिकों और व्यवसायों को कम प्रक्रियात्मक बाधाओं का सामना करना पड़े।

3.       छोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से हटाना - कई कानून अभी भी छोटे तकनीकी या प्रक्रियात्मक गलतियों के लिए जेल या कड़ी आपराधिक सजा देते हैं। ऐसे उपाय पालन को बढ़ावा देने के बजाय उसे रोकते हैं और अदालतों पर बेवजह दबाव डालते हैं। यह बिल इनमें से कई उपबंधों को चेतावनी में बदलकर उन्हें तर्कसंगत बनाने की कोशिश करता है, खासकर पहली बार या अनजाने में किए गए उल्लंघनों के लिए। साथ ही, यह बिल राज्य कानूनों के तहत उन अपराधों के संबंध में अपराध की श्रेणी से हटाने से बचता है जो गंभीर प्रकृति के है या सार्वजनिक सुरक्षा, व्यवस्था या सुशासन के हित में बनाए रखना जरूरी है।

4.       कोर्ट के बजाय प्रशासनिक समाधान - यह बिल ज्यादातर उल्लंघनों को कोर्ट जाए बिना, प्रशासनिक फैसले, समझौता या चेतावनी के जरिए सुलझाने पर फोकस करता है। इससे समय बचेगा, लागत कम होगी और न्यायपालिका पर बोझ कम होगा। प्रस्तावित संशोधनों में एक सक्षम अथॉरिटी को साफ तौर पर तय किया जाए ताकि जहां भी जुर्माने की जगह पेनल्टी लगाई गई है, वहां उसे लागू किया जा सकें।

5.       भारत सरकार के जन विश्वास (उपबंधों में संशोधन) अधिनियम, 2023 के साथ निरंतरता के तहत शुरू किए गए सुधारों को आगे बढ़ाता है और गहरा करता है।

6.       दंडों का समय-समय पर संशोधन- बिल ने यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया कि जहां भी संभव हो, जुर्माने को दंड में बदला जाए।

 

इसलिए, हरियाणा जन विश्वास (उपबंधों में संशोधन) विधेयक, 2025 एक संतुलित और व्यावहारिक कानूनी ढांचा सुनिश्चित करके विश्वास-आधारित शासन को बढ़ावा देना चाहता है, जो सजा देने के बजाय सुविधा देने पर जोर देता है। इसका मकसद अनावश्यक आपराधिक उपबंधों को कम करके, अनुपालन को आसान बनाकर और एक पारदर्शी, कुशल और नागरिक केंद्रित प्रशासनिक माहौल स्थापित करके राज्य व्यापार करने में आसानी को बढ़ाना है।

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