ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में जहां शिल्पकार अपनी अदभुत और अनोखी कला से लोगों को आकर्षित करने का काम कर रहे है। वहीं इन शीत लहरों के बीच सूरज की किरणें भी ब्रह्मसरोवर पर अपनी सौन्दर्यता का रंग बिखेर रही है। इन लोक कलाकारों की लोक कला की गूंज प्रदेश ही नहीं विदेशों तक सुनाई दे रही है। ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से विदेशी भी इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के पल-पल का आनंद ले रहे है।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के 20वें दिन वीरवार को ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर हजारों की संख्या में पहुंचे पर्यटक जहां शिल्पकारों की हस्तशिल्प कला को देखकर हैरान है, वहीं पर्यटक इन हस्तशिल्प कला से बनी अद्भुत वस्तुओं की जमकर खरीदारी कर रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में देश के कोने-कोने से यादगार लम्हों को आत्मसात करने के लिए लाखों पर्यटक ब्रह्मसरोवर पर पहुंचे। 5 दिसंबर,2025 तक चलने वाले इस सरस व शिल्प मेले में पर्यटक जमकर खरीदारी कर रहे हैं। पर्यटकों ने ब्रह्मसरोवर के घाटों पर एनजेडसीसी की तरफ से चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी खूब आनंद उठाया और इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों से पर्यटकों को विभिन्न प्रदेशों की संस्कृति से रूबरू होने का अवसर भी मिला।
*राजस्थान का देसी खान-पान बढ़ा रहा है पर्यटकों की जीभ का स्वाद*
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में हो रहे ब्रह्मसरोवर के तट पर महोत्सव में राजा महाराजाओं की भूमि राजस्थान की संस्कृति की झलक देखी जा रही है। गीता महोत्सव में लोग राजस्थान की दाल बाटी, चूरमा ओर राजस्थान की राज कचोरी, केसरिया दूध आदि स्वादिष्ट पकवानों का स्वाद चखने महोत्सव में दूर दूर से आ रहे है। इसके अलावा राजस्थान का लोक नृत्य कच्ची घोड़ी लोगों में अलग ही उत्साह उत्पन्न कर रहा है। पर्यटक कलाकारों के साथ झूम रहे है तथा उनकी कला के बारे में जानने के लिए उत्सुक है।
धार्मिक व सामाजिक संस्थाए महोत्सव में आने वाले पर्यटकों को महान विभूतियों के सुविचारों से करवा रही है रुबरु
कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाएं द्वारा धार्मिक कार्यक्रम बड़ी श्रद्धा के साथ किए जा रहे है, वहीं इन धार्मिक संस्थाओं के माध्यम से महान संतों के विचारों, आदर्शों व उनके द्वारा किए गए सामाजिक सुधार के कार्यों के बारे में महोत्सव में आने वाले युवाओं को जानकारी दी जा रही है ताकि युवा पीढ़ी उनका अनुसरण कर सके।
*शिल्पकार अकील अहमद पिछले 25 सालों से पर्यटकों के लिए ला रहे है बनारसी साड़ी*
बनारस के शिल्पकार अकील अहमद का अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के साथ 25 सालों का नाता रहा है। इस महोत्सव में लगातार आ रहे है और महोत्सव में आने वाली महिलाओं के लिए बनारसी सूट, साड़ी और दुपट्टे तैयार करके लाते है।
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केंद्र पटियाला की तरफ से देश के हर शिल्प मेले में आमंत्रित किया जाता है, वो अपनी शिल्पकला को लेकर केवल मेलों में ही जाते है।
*ड्राई फ्रूट के साथ तैयार किया जा रहा कश्मीरी काहवा ठंडक में दे रहा है गर्माहट का स्वाद*
ब्रह्मसरोवर तट पर उत्तर-पूर्वी तट पर पर्यटक कश्मीर के काहवा का स्वाद चख रहे है। महोत्सव में जम्मू कश्मीर के ग्रुप द्वारा विशेष प्रकार का काहवा में ड्राई फ्रूट आदि डालकर तैयार किया जा रहा है, जिसकी कीमत मात्र 50 रूपए रखी गई है। स्टॉल पर काम कर रहे कश्मीर के रहने वाले उमर फारुक व बिलाल ने बातचीत करते हुए कहा कि वे पिछले कई सालों से अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आ रहे हैं और उनकी स्टॉल पर कश्मीरी काहवा पीने वाले पर्यटक भारी संख्या में आ रहे है।