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Haryana

विधायी ड्राफ्टिंग लोकतंत्र की सबसे बड़ी सेवा, ड्राफ्टिंग में क्लेरिटी, प्रिसिजन और कंसिस्टेंसी जरूरी - विधानसभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण

September 26, 2025 07:20 PM

हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष श्री हरविन्द्र कल्याण ने कहा कि लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग वास्तव में बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। इसका अर्थ है नीति को औपचारिक और कानूनी भाषा में बदलना ताकि वे साफ, सटीक और सबको समझ में आने योग्य कानून के रूप में सामने आ सके। विधायी ड्राफ्टिंग में भाषा ऐसी हो कि कोई भी नागरिक पढ़कर साफ -साफ समझ सकें कि उसमें क्या लिखा है यानी क्लेरिटी होनी चाहिए। शब्दों का चयन ऐसा हो कि एक ही बात के दो अलग-अलग अर्थ न निकले यानी प्रिसिजन हो। पूरा कानून एक समान नियम और शैली में तैयार किया जाए यानी कि कंसिस्टेंसी हो।

 

श्री हरविन्द्र कल्याण आज हरियाणा विधानसभा द्वारा लोकसभा की संविधान एवं संसदीय अध्ययन संस्थान के सहयोग से चंडीगढ़ सेक्टर—26 स्थित महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान में विधायी प्रारूपण एवं क्षमता संवर्धन विषय पर आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर को संबोधित कर रहे थे।

 

कार्यशाला का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी, कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष श्री यू टी खादर फरीद, हरियाणा विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ कृष्ण लाल मिड्ढा उपस्थित रहे।

 

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि आज का यह आयोजन केवल एक प्रशिक्षण सत्र नहीं और न ही ये कोई औपचारिकता है, बल्कि यह हमारे लिए एक सामूहिक प्रयास है, जो हरियाणा की शासन व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम सभी विकसित भारत 2047 के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे। इस लक्ष्य की प्राप्ति में लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं की एक बहुत बड़ी भूमिका है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला का स्वागत करते हुए कहा कि वे एक विजनरी लीडर हैं, जिन्होंने विधायिका को प्रभावी बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण पहले की है।

 

उन्होंने कहा कि लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग विधायी प्रक्रिया का ही एक मूल हिस्सा है, क्योंकि ये काम संसदीय विधानसभा में बिल पहुंचने से पहले ही शुरू हो जाता है। जब कोई नया कानून बनाना हो, किसी पुराने कानून में संशोधन करना हो या किसी कानून को समाप्त करना हो, तो इसकी पहल संबंधित मंत्रालय या विभाग से होती है। यही लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग का असली मकसद भी है कि समाज की जरूरतों को पहचान कर उन्हें स्पष्ट, सरल और प्रभावी कानून की भाषा में ढालें।

 

अधूरी विधायी भाषाभ्रम और कष्ट का कारण बन सकती है

 

श्री हरविन्द्र कल्याण ने कहा कि वर्ष 2015 में श्रेया सिंघल वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया केस में सुप्रीम कोर्ट ने इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 66 ए को असंवैधानिक घोषित किया था। क्योंकि ये धारा ऐसे शब्दों पर जैसे आक्रामक, अपमानजनक, कष्टदायक शब्दों पर आधारित थी, जिनकी कोई स्पष्ट कानूनी परिभाषा नहीं थी। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इस को रद्द कर दिया था ताकि डिजिटल युग में फ्री स्पीच सुरक्षित रह सकें। यह उदाहरण हमें सिखाता है कि अधूरी विधायी भाषा, भ्रम और कष्ट का कारण बन सकती है और अदालतों में भी विवाद बढ़ते जाते हैं। इसलिए इस कार्यशाला का उद्देश्य ऐसी विधायी तरीकों का अभ्यास कराना है या आपके द्वारा तैयार किया कानून, ड्राफ्ट, आदेश, अधिसूचना संशोधन स्पष्ट हो, संक्षेप में हो तथा जरूरत और समय के हिसाब से हो।

 

उन्होंने कहा कि देश और राज्यों में पिछले वर्षों में बड़े विधि बदलाव हुए हैं। आज हम जिस डिजिटल युग में जी रहे हैं, वो तेज परिवर्तनों का दौर है। हमारी ये कोशिश है कि इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के माध्यम से आप इस दिशा में और अधिक प्रगति करे। ये कार्यशाला केवल भाषायी कौशल की बात नहीं करेगी बल्कि अन्य तकनीकी जानकारियां प्रदान करने के साथ साथ वो दृष्टिकोण देगी कि लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग केवल तकनीकी कार्य नहीं, बल्कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी सेवा है।

 

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस कार्यशाला से प्राप्त ज्ञान और अनुभव हम सभी को बेहतर लोकतांत्रिक सेवक बनाने में सहायक सिद्ध होगी। हमारी यह सहभागिता हरियाणा की शासन व्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का काम करेगी। आइए हम सभी संकल्प लें कि आने वाले समय में हमारी ड्राफ्टिंग न केवल संविधान की भावना को, बल्कि लोकतंत्र को भी और सशक्त बनाएगी।

 

स्पष्ट भाषा और सटीक संरचना ही विधायी प्रारूपण को समाज में न्यायसमानता और पारदर्शिता का माध्यम बनाती है - विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. कृष्ण लाल मिड्ढा

 

हरियाणा विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. कृष्ण लाल मिड्ढा ने कहा कि विधायक केवल जनप्रतिनिधि ही नहीं, बल्कि समाज की समस्याओं के समाधानकर्ता भी होते हैं। जनसेवा का अर्थ केवल कार्यालय समय तक सीमित नहीं है, बल्कि दिन-रात हर समय लोगों की सेवा में तत्पर रहना ही एक सच्चे जनप्रतिनिधि का धर्म है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि विधायी प्रक्रिया की गुणवत्ता और पारदर्शिता को और अधिक मजबूत बनाने का एक सशक्त प्रयास है। उन्होंने कहा कि स्पष्ट भाषा और सटीक संरचना ही विधायी प्रारूपण को समाज में न्याय, समानता और पारदर्शिता का माध्यम बनाती है।

 

डॉ. मिड्ढा ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में आज राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, दिल्ली के सहयोग से डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट कोर्स इन लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग का शुभारंभ किया गया है, जो एक दीर्घकालिक दृष्टि प्रस्तुत करता है और विधायी अधिकारियों व कर्मचारियों की क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

 

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम विधायी दक्षता बढ़ाने का अवसर - मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी

 

हरियाणा के मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिससे वे अपने कार्यों को और अधिक प्रभावी, पारदर्शी और विधायी दृष्टिकोण से सशक्त बना सकें। उन्होंने कहा कि लंबे समय के अनुभव में देखा गया है कि कानून में छोटी-सी कमियों का कभी-कभी गलत उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाता है। इस संदर्भ में, लोकसभा की पहल अत्यंत सराहनीय है, जिन्होंने इस प्रकार का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर अधिकारियों और कर्मचारियों को विधायी प्रक्रिया और कानून निर्माण की बारीकियों से अवगत कराने का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई देते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण उन्हें न केवल उनकी काबिलियत निखारने, बल्कि अपने अध्ययन और अनुभव को आगे बढ़ाने का अवसर देगा।

 

इस मौके पर श्री उत्पल कुमार सिंह, महासचिव लोकसभा सहित हरियाणा विधानसभा के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।

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