मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की प्रेस वार्ता
आज देश के लोकतंत्र व संवैधानिक प्रक्रिया पर हमला करने वालों को आपके माध्यम से जबाब देना चाहूंगा
पिछले काफी दिनों से कांग्रेस, राहुल गांधी लोकतांत्रिक संस्थाओं और चुनाव आयोग पर लगा रहे झूठे आरोप
झूठे और निराधार आरोप लगाना राहुल गांधी की आदत
यह पहली बार नहीं है कि राहुल गांधी ने निराधार आरोप लगाए
और फिर उनसे भाग गए
राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी अपने कर्मों को छिपाने के लिए संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल खड़े करते हैं
भारत को 2047 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित भारत बनाने का लक्ष्य रखा
राहुल गांधी ने 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों के मतदाता सूची विवाद को मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से जोड़ दिया, जबकि वे फरवरी 2025 में नियुक्त हुए
कर्नाटक के अलंद विधानसभा का हवाला राहुल दे रहे हैं, वहां से 2023 में कांग्रेस जीती थी और भाजपा हार गई
1984 में जो दंगे सिख समाज के विरूद्ध हुए वो बेहद निंदनीय
राहुल गांधी सच को तोड़-मरोड़ कर पेश कर जनता को भ्रमित कर रहे हैं
मैं बताना चाहूंगा कि इस मामले में पहले ही एफ.आई.आर. दर्ज हो चुकी है
चुनाव आयोग ने उपयोग किए गए मोबाइल नंबर और आई.
पी. पते भी उपलब्ध कराए थे
इसकी जांच कर्नाटक में कांग्रेस की ही सरकार की सी.आई.डी. कर रही है
मैं पूछना चाहता हूं कि क्या राहुल गांधी जी को अपनी ही पार्टी की सरकार की जांच पर भरोसा नहीं
विकसित भारत का विरोध राहुल गांधी और विपक्षी गठबंधन का एजेंडा
राहुल गांधी के सभी झूठे दावों को भारतीय चुनाव आयोग ने भी
प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कुछ ही मिनटों में खारिज कर दिया
चुनाव आयोग का स्पष्ट जवाब है कि राहुल गांधी द्वारा लगाए गए
आरोप गलत और निराधार
अलंद विधानसभा सीट के रिकॉर्ड बताते हैं कि 2018 में यह सीट
भाजपा के सुभाध गुट्टेदार ने जीती थी
जबकि 2023 में कांग्रेस के
बी. आर. पाटिल ने 10,348 वोटों के बड़े अंतर से इसे जीता था
यह बताता है कि मतदाताओं को हटाने की साजिश के आरोप के निराधार हैं
अलंद विधानसभा सीट से वर्ष 2004 व 2008 में जनता दल जीता, 2013 में कर्नाटक जनता पार्टी जीती, 2018 में भाजपा जीती
2023 में इस सीट पर कांग्रेस कैसे जीत गई जो सीट कांग्रेस ने
2018 तक कभी नहीं जीती थी
क्या इसका मतलब यह है कि कांग्रेस ने वोट चोरी की
राहुल गांधी ने यह भी दावा किया कि अलंद विधानसभा क्षेत्र से
बबीता चौधरी, सोनकांतले काशीनाथ और अशोक माणिक राव के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए
जबकि सच यह है कि इन
तीनों मतदाताओं के नाम अभी भी चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में वैध
मैं कहना चाहूंगा कि चुनाव ऑनलाइन जीते या हारे नहीं जा
सकते
वे एक धर्म विशेष के नाम पर
ज़हरीली खतरनाक और भड़काऊ बयानबाज़ी कर रहे हैं
मतदाता सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया बड़ी पारदर्शी ,मतदाता
सूची से नाम हटाने के लिए आवेदन फॉर्म 7 भरना होता है
इसे निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी के पास अथवा राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन जमा करना होता है
किसी मतदाता का नाम हटाने की एक पूरी प्रक्रिया है और यह कार्य
बूथ लेवल अधिकारी और ई.आर.ओ. की निगरानी में संभव
एफ. आई. आर. वर्ष 2023 में दर्ज हुई, कर्नाटक सी.आई.डी. द्वारा चुनाव आयोग को पत्र फरवरी और मार्च 2023 में लिखा गया
मालूर विधानसभा क्षेत्र का चुनाव कर्नाटक उच्च न्यायालय
ने चार दिन पहले ही 16 सितंबर, 2025 को रद्द किया
2023 के विधानसभा
चुनावों में डाले गए मतों की पुनः गणना का आदेश दिया
जिसमें कांग्रेस उम्मीदवार पर मतगणना प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया
अदालत ने भाजपा के के.एस. मंजूनाथ गौड़ा द्वारा दायर एक चुनाव याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो नंजेगौड़ा से केवल 248 वोटों से हारे
कर्नाटक में 19 दिसंबर 2022 को प्रकाशित मतदाता सूची
से लोगों के नाम हटाये गये
कांग्रेस के BLO के पास इसकी जांच करके उनके नाम वापिस जोड़ने के लिए 5 महीने का समय था
राहुल गांधी ने एक पी.पी. टी. जारी की है, जो त्रुटियां, कुतर्कों और मूर्खतापूर्ण धारणाओं से भरी
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को विकल्प दिया था कि वे सबूत के
साथ शपथ पत्र दाखिल करें या माफी मांगें इसकी भी समय सीमा
बीत गई
कांग्रेस का एकमात्र उद्देश्य लोकतंत्र में विश्वास को तोड़ना, अशांति पैदा करना, भारत को अस्थिर करना
भारत का लोकतंत्र पूरी तरह सुरक्षित, कुछ असफल लोग अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए अराजकता फैलाकर इसे खतरे में डालने की कोशिश में
कांग्रेस पार्टी के भीतर कैसा लोकतंत्र है, यह सब लोग देख रहे है
विधानसभा चुनावों लगभग 1 साल होने को है, इसके बावजूद भी ये नेता प्रतिपक्ष का चुनाव नहीं कर पाए है
2009 के विधानसभा चुनावों में सुखबीर कटारिया बोगस
वोटिंग मामला खूब चर्चा में रहा
आरोप मुख्य रूप से फर्जी वोटर
आई.डी. कार्ड और झूठे दस्तावेजों का इस्तेमाल करके मतदाता सूची
में हेरफेर करने पर आधारित थे
मतदाता जागरूक मंच नाम के एनजीओ ने मतदान में हेरफेर के आरोप लगाए
इसी मामले में, 2013 में एक
जिला अदालत के निर्देश पर कटारिया जी के खिलाफ दो नई
एफ.आई.आर दर्ज हुई
इसी प्रकार, लोकसभा चुनाव 2014 में नूंह, फिरोजपुर झिरका और पुन्हाना में फर्जी मतदान और बूथ कैप्चरिंग के आरोप लगे
इस क्षेत्र में मतदान 78 प्रतिशत दर्ज किया गया,विशेषकर जिला
मुख्यालय नूंह में, जिसमें रैना गांव जैसे इलाके शामिल थे
लेकिन जब लोगों से उनकी अंगुलियों पर इंक मार्क दिखाने को कहा गया, तो बहुत कम मतदाताओं की अंगुलियों पर इंक मार्क थे
कैथल के पारस मित्तल ने 6 मई, 2014 को 10 हजार फर्जी वोटरों की लिस्ट भी निर्वाचन अधिकारी को सौंपी
कई लोगों की लिस्ट माननीय उच्च न्यायालय को सौंपी जिनके वोट कैथल और नरवाना दोनों विधानसभा में थे
जांच के बाद 7 हजार 447
मतदाताओं को फर्जी मानते हुए मतदाता सूची से हटा दिया गया
मैं पूछना चाहूंगा कि उस समय प्रदेश में किसकी सरकार थी?
जिस एजेंसी 'सेंटर फॉर दा
स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज' की रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस ने आरोप लगाए, उस एजेंसी ने 17 अगस्त को अपनी रिपोर्ट ही वापिस ले ली
सच तो यह है कि न तो संविधान खतरे में है, न ही लोकतंत्र खतरे
में है, अगर खतरे में है तो कांग्रेस की राजनीति खतरे में