नई दिल्ली- रेजांगला युद्ध के महानायक मेजर शैतान सिंह भाटी परमवीर चक्र के शताब्दी जयंती वर्ष में 17 जून को उनके पैतृक स्थान जोधपुर से एन डी निम्बावत की अध्यक्षता वाली मेजर शैतान सिंह रेजांगला शौर्य समिति के तत्वावधान में शहीद सेवादल फाउंडेशन के बैनर तले रेजांगला पराक्रम यात्रा ने सड़क मार्ग से तिरंगे और अमर शहीदों के चित्रों से सुसज्जित वाहन के जरिए 6500 कि मी का रोमांचक सफ़र तय कर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रवेश किया । पिछले 4 दशक से अधिक समय से रेजांगला युद्ध के पराक्रम को सिविल समाज में जीवन्त रखने वाली रेजांगला शौर्य समिति, रेवाड़ी का प्रारम्भ से यात्रा को बहुमूल्य मार्ग दर्शन मिलता रहा। युद्ध के 87 वर्षीय जीवित योद्धा कप्तान रामचंद्र यादव स्वयं इसका नेतृत्व कर रहे हैं । युद्ध के जीवित जांबाज सेना मेडल निहाल सिंह यादव, मेजर शैतान सिंह भाटी पीवीसी के पुत्र नरपत सिंह भाटी , फाउंडेशन निदेशक सावन सिंह रोहिल्ला, समिति महासचिव नरेश चौहान राष्ट्रपूत,लेखक श्याम लाल यादव, जगदीश यादव सहित एक दर्जन यात्री निरन्तर यात्रा में बने रहे। राजस्थान, हरियाणा ,उत्तर प्रदेश तथा पंजाब के सभी 110 रेजांगला शहीद परिवारों के गांव अथवा जिला मुख्यालय पर शहीद परिवारों की मौजूदा पीढ़ी को अहीर धाम रेजांगला युद्ध स्मारक चूशूल घाटी से लाई गई पावन माटी के कलश, सम्मान सामग्री तथा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के तहत एक-एक नाबालिग बालिका को 5/5 हजार ₹ का किसान विकास पत्र अथवा फिक्स्ड डिपॉजिट पत्र से सम्मानित करते हुए यात्रा ने 23 जुलाई को शिव रात्रि के पावन पर्व पर हरिद्वार से लाई गई गंगा जल की डाक कांवड चढ़ाने का कीर्तिमान भी स्थापित किया। आर्मी के सहयोग से अहीर धाम रेजांगला युद्ध स्मारक चूशूल घाटी लेह लद्दाख में गंगाजल की यह कावड़ चढ़ाकर उन अमर शहीदों का सामूहिक तर्पण भी पहली बार 63 साल बाद उनकी आत्मिक शांति के लिए संभव हो पाया क्योंकि फरवरी 1963 में रेजांगला के इन अमर शहीदों का सामूहिक दाह संस्कार इसी स्थान पर किया गया था। भारत सरकार ने इस युद्ध स्मारक का नवीनीकरण कर इसे एक राष्ट्रीय जागृति का पर्यटन केंद्र बना दिया है।
पराक्रम यात्रा में युवा शक्ति की भागीदारी के साथ आध्यात्मिक गुरू जनों और ज़न प्रतिनिधियों का भी भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ। जोधपुर से चलते ही विश्व स्तरीय गौ चिकित्सालय नागौर में महामण्डलेश्वर कुशाल गिरी महाराज, सालासर धाम में पुजारी भिख़म चंद , मथुरा वृंदावन में प्रेमानन्द जी महाराज , अयोध्या में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चम्पत राय, कैंची धाम में नीम करौली महाराज , हरिद्वार में योग गुरु बाबा रामदेव का उत्साहित आशीर्वाद प्राप्त हुआ वहीँ लोहारू विधायक राजबीर फ़रटीया , भिवानी विधायक घनश्याम सर्राफ , नारनौल विधायक ओपी यादव,बहरोड विधायक जसवंत यादव, रेवाड़ी विधायक लक्ष्मण यादव, खरखौदा विधायक पवन खरखौदा ने अपने क्षेत्र में तथा स्वयं मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने चंडीगढ़ में अपने आवास पर बड़ी आत्मीयता से यात्रा का आदर सत्कार किया। 13 कुमाऊँ , 50 राष्ट्रीय राइफ़ल,22 कुमाऊँ, 254 तोप खाना ब्रिगेड न्योमा, 8 जैक लाई बटालियन, जीओसी लेह रीजन का आतिथ्य सत्कार अविस्मरणीय रहा।
26 जुलाई को वापसी में यात्रा ने कारगिल विजय दिवस अवसर पर दरास में आयोजित समारोह में भाग लिया जहां आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी से मुलाकात भी हुई। समापन कार्यक्रम में 16 कुमाऊँ का महत्वपूर्ण सहयोग रहा।
उल्लेखनीय है कि यात्रा के प्रथम चरण को समिति के संस्थापक मुख्य संरक्षक कर्नल राव राम सिंह पूर्व केंद्रीय मंत्री, कैप्सी के संरक्षक महाराजा भानु प्रकाश सिंह नरसिंहगढ़ पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं राज्यपाल, चेयरमैन कुंवर विक्रम सिंह के सहयोग से तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के निर्देश पर 7 सितंबर 2007 को अमर जवान ज्योति इंडिया गेट से आर्मी के तत्कालीन डेजिग्नेटिड चीफ जनरल दीपक कपूर ने झंडी दिखाकर रेजांगला शौर्य कलश यात्रा को अहीर धाम से शहीद गांव की ओर रवाना किया था। प्रथम चरण में राजस्थान और हरियाणा के सभी 84 शहीद परिवारों के गांव बस्ती तक यात्रा पहुंची थी । इस बार 'शहीद गांव से अहीर धाम' की यात्रा उत्तर प्रदेश और पंजाब के रेजांगला शहीद परिवारों तक दस्तक देकर एक श्रंखला में सभी शहीद परिवारों के मान सम्मान को समाज में पहली बार उजागर करने में सफल रही । राष्ट्रीय भावना, राष्ट्रीय सुरक्षा ,शहीद परिवारों का सम्मान, आध्यात्म के साथ यात्रा के माध्यम से नागरिक सुरक्षा संस्कृति को बढ़ावा देने का भी प्रयास किया गया है ।
आज शनिवार 02 अगस्त 2025 को यात्रा समापन अवसर पर प्रात 10 बजे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नई दिल्ली पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर भारत सरकार से मेजर शैतान सिंह भाटी परमवीर चक्र शताब्दी एक्सप्रेस रेल का जोधपुर से संचालन, 1962 के युद्ध के दस्तावेज डिकोडिफाई करने, राज्यसभा में प्रत्येक कार्यकाल में दो शहीद परिवारों के सदस्यों को नॉमिनेट करने तथा सेवानिवृत्त होने वाले सैनिकों और अग्नि वीरों को प्राइवेट सेक्टर में समायोजन के समय सर्विस काल में मिलने वाले वेतन अनुरूप उनका वेतन भत्ते निर्धारित किए जाने का पुरजोर आग्रह किया गया ।