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सिर्फ़ खाकी हैं हम’,डिजिटल युग में जनता के साझेदार बने हरियाणा के नए डीजीपी, विश्वास और समर्पण की नई मिसाल

November 12, 2025 08:00 AM
हरियाणा के नये पुलिस महानिदेशक (DGP) ओ.पी. सिंह ने भारतीय पुलिस सेवा में अपनी चुनौतियों को बड़े उत्साह और नवीन सोच के साथ निभाते हुए कानून और व्यवस्था की व्यवस्था में नया आयाम जोड़ा है। अक्टूबर 2025 से अपनी सेवा शुरू करने वाले सिंह ने आधुनिकता, जनसंपर्क और डिजिटल तकनीक को पुलिसिंग की धुरी बनाते हुए कम समय में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं।
 
ओ.पी.सिंह, भारतीय पुलिस सेवा के अनुभवी अधिकारी, तीन दशकों से अधिक समय से देश की सेवा में हैं। उन्होंने हरियाणा पुलिस आवास निगम के प्रबंध निदेशक और राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पद संभाले हैं। हरियाणा राज्य नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो (HSNCB) एवं साइबरक्राइम रोधी शाखा के प्रमुख के रूप में उनका नेतृत्व नशा तस्करी और साइबर अपराध नियंत्रण के जटिल संघर्ष में उनकी दक्षता को दिखाता है। ये अनुभव उन्हें आज हरियाणा पुलिस के सर्वोच्च पद पर एक व्यापक दृष्टिकोण के साथ खड़ा करते हैं, जिसमें प्रौद्योगिकी, जन-कल्याण और उत्कृष्टता का समावेश है।
 
सिंह की हालिया सफलता की कुँजी उनका डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से जनता के साथ संवाद को आधुनिक बनाना रहा है। एक महीने के अंदर हरियाणा पुलिस का सोशल मीडिया प्रभाव अभूतपूर्व बढ़ा। ट्विटर पर उनके फॉलोअर्स में 62,000 का इजाफा हुआ, इंस्टाग्राम पर व्यूज पांच मिलियन से बढ़कर 45 मिलियन तक पहुंच गए, और फेसबुक पर पहुंच 1800 प्रतिशत बढ़ गया। 72 मिलियन से अधिक लाइक, शेयर और कमेंट्स जुड़े, जो जनता की पुलिस के प्रति बढ़ती विश्वास की गवाही देते हैं।
 
फिर भी, यह सिर्फ आंकड़े नहीं हैं जो बताते हैं कि बदलाव आया है। जनमानस के मन में जो सोच थी, उसमें भी अभूतपूर्व बदलाव दिखा। सकारात्मक सोच 62 प्रतिशत से बढ़कर 99 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो सेवा में पारदर्शिता और जनता से जुड़ाव की नई राह दिखाता है।
 
ओ.पी. सिंह ने तकनीक के साथ-साथ जमीनी स्तर पर भी पुलिस को जन-समुदाय के करीब लाने पर बल दिया। ‘ऑपरेशन ट्रैकडाउन’ जैसे अभियान से अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की गई, वहीं ‘खाकी हमारी इकलौती पहचान’ जैसे संदेश से पुलिस में एकता और समर्पण का भाव पैदा हुआ। युवाओं को ‘ड्रग्स कों ना कहो’ जैसे अभियान से नशा विरोधी जंग में जोड़ा गया, और डिजिटल धोखाधड़ी से बचाव के लिए ‘नो डिजिटल अरेस्ट’ अभियान से जागरूकता फैलाई गई। इसके अलावा, ‘रोड सेफ्टी ट्रैफिक एडवाइजरी’ और ‘रन फॉर यूनिटी फिटनेस’ जैसे अभियान सुरक्षा और स्वस्थ जीवनशैली को पुलिसिंग का हिस्सा बनाया।
 
उनकी नेतृत्व शैली सहज और समावेशी है। वे अक्सर अधिकारियों को जनता के बीच जाकर संवाद करने और “फ्रिक्शन-फ्री पुलिसिंग” अपनाने की प्रेरणा देते हैं। उनकी निजी संलग्नता से विभाग में उत्साह बढ़ा है और सेवा के प्रति प्रतिबद्धता को बल मिला है।
 
सिंह एक लेखक और पॉडकास्टर भी हैं। वे चार साल हरियाणा के खेल निदेशक रहे, राज्य को एक स्पोर्टिंग पावरहाउस की पहचान दी। मैराथन और राहगीरी के ज़रिए उन्होंने सरकार को लोगों से जुड़ने का नया माध्यम सृजित किया। उनकी किताबें ‘से यस टू स्पोर्ट्स’ ‘हौसलानामा’ एवं ‘जिन ढूंढा तिन पाइयाँ’ परिणामोन्मुख होने की प्रेरणा देते है। उन्होंने ‘क्राउड होस्टिंग’ जैसे विषयों पर विचार साझा किए हैं, जिसमें वे कहते हैं कि भीड़ को नियंत्रण की बजाय संभावनाओं के रूप में देखना चाहिए। उनके अनुभव और विचारशीलता ने उन्हें policing के क्षेत्र में एक विशिष्ट स्थान दिलाया है।
 
ओ.पी. सिंह के नेतृत्व में हरियाणा पुलिस ने न सिर्फ अपने कार्यकुशलता को बढ़ाया है, बल्कि जनता के दिलों में भी अपनी छवि को मजबूत किया है। वे एक ऐसे युग की शुरुआत का प्रतीक हैं, जहाँ पुलिस सिर्फ कानून लागू करने वाला नहीं, बल्कि समाज का सहयोगी बनकर नागरिकों की सुरक्षा और विकास में सहभागी बनती है।
 
अंत में, ओ.पी. सिंह की भविष्योन्मुख और सकारात्मक पहल हमें यह दिखाती है कि दूरदृष्टि, प्रौद्योगिकी में समझदारी और जनता के विश्वास के प्रति समर्पण से policing में क्रांतिकारी बदलाव लाया जाना संभव है। उनका उदाहरण देश के अन्य पुलिस विभागों के लिए प्रेरणा है, जो कानून-व्यवस्था की चुनौतियों से जूझ रहे हैं, और एक बेहतर policing के भविष्य की आशा जगाता है।
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