हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओपी सिंह ने हाल ही में एक ऐसा उदाहरण पेश किया है, जिसने पुलिस प्रशासन की पारंपरिक छवि को संवेदनशीलता और मानवीय जुड़ाव के नए रंग में रंग दिया है। देर रात एक अज्ञात नंबर से आई मिस्ड कॉल पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने स्वयं उस नंबर पर कॉल की और सामने वाले व्यक्ति की कुशलक्षेम पूछी। बातचीत में पता चला कि कॉल गलती से एक छोटे बच्चे द्वारा की गई थी।
लेकिन इस मामूली घटना को डीजीपी सिंह ने एक बड़े सामाजिक संदेश में बदल दिया। उन्होंने अवसर का लाभ उठाते हुए अभिभावकों से बच्चों के मोबाइल फ़ोन के अत्यधिक उपयोग और उससे जुड़ी मानसिक व शारीरिक हानियों पर चर्चा की। उन्होंने बच्चों के मस्तिष्क पर स्क्रीन टाइम के नकारात्मक प्रभावों को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण वीडियो भी साझा किया। साथ ही, वीडियो का सरल हिंदी सारांश भेजकर यह सुनिश्चित किया कि समाज के हर वर्ग को यह जानकारी सहजता से समझ में आ सके।
डीजीपी सिंह ने इस घटना को अपने आधिकारिक ‘X’ हैंडल पर साझा करते हुए प्रदेश के सभी माता-पिता से अपील की—“अपने बच्चों को मोबाइल की लत से दूर रखिए, उन्हें प्रकृति और खेल-कूद से जोड़िए।”
यह कदम हरियाणा पुलिस के उस नए पुलिसिंग मॉडल की झलक देता है, जिसमें कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता और मानवीय संबंधों को भी समान महत्व दिया जा रहा है। डीजीपी सिंह की इस पहल ने पुलिस प्रशासन में जनता से सीधे संवाद और सहानुभूति की भावना को और मजबूत किया है।
सोशल मीडिया पर लोगों ने डीजीपी श्री सिंह के इस प्रयास को जनता-केन्द्रित पुलिसिंग का उम्दा उदाहरण बताते हुए धन्यवाद व्यक्त किया। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे नेतृत्वकारी कदम समाज और पुलिस के बीच भरोसे की नई नींव रख रहे हैं।
यह घटना न केवल एक मानवीय प्रसंग है, बल्कि यह इस बात का प्रमाण भी है कि हरियाणा पुलिस अब विजन 2025 के अनुरूप हर नागरिक की सुरक्षा व जागरूकता को समान प्राथमिकता दे रही है। डीजीपी ओपी सिंह की यह छोटी-सी पहल राज्य में सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में नया अध्याय लिखने जा रही है।