हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन ने उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (UHBVN) से संबंधित एक मामले में सुनवाई करते हुए रादौर निवासी उपभोक्ता को हुई असुविधा को गंभीरता से लिया है। आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि बिजली बिलों में की गई त्रुटियों और अंतिम संशोधित बिल की सूचना उपभोक्ता तक न पहुंचने के कारण उपभोक्ता को 66 रुपये का सरचार्ज भुगतना पड़ा।
प्रकरण की सुनवाई के दौरान आयोग को बताया गया कि 08 फरवरी 2025 से 07 अगस्त 2025 की अवधि के दौरान तीन बिजली बिल औसत आधार पर जारी किए गए। बाद में मीटर संबंधी त्रुटि के सुधार के पश्चात एक संशोधित बिल जारी किया गया, जिसकी जानकारी उपभोक्ता को समय पर नहीं मिल सकी। इसके चलते निर्धारित तिथि के बाद भुगतान होने पर सरचार्ज लगाया गया।
सुनवाई के दौरान आयोग ने प्रथम अपीलीय प्राधिकारी द्वारा अपील का त्वरित निपटान बिना सुनवाई का अवसर दिए किए जाने को भी गंभीर लापरवाही माना। हालांकि, संबंधित अधिकारी द्वारा खेद प्रकट किए जाने को ध्यान में रखते हुए आयोग ने दंडात्मक कार्रवाई के स्थान पर उन्हें भविष्य में सतर्क रहने की चेतावनी जारी की है।
आयोग ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि यह मामला प्रणालीगत त्रुटि का है और किसी एक अधिकारी की सीधी जिम्मेदारी नहीं बनती। अतः बिना दंडात्मक प्रावधान लागू किए, आयोग ने उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम को निर्देश दिए हैं कि उपभोक्ता को 66 रुपये की राशि मुआवजे के रूप में वापस की जाए। यह मुआवजा हरियाणा राइट टू सर्विस अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(ह) के तहत दिया जाएगा।
आयोग ने संबंधित एक्सईएन को निर्देश दिए हैं कि मुआवजे के भुगतान के बाद 12 जनवरी 2026 तक आयोग को अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।