संत शिरोमणि कबीर दास जयंती के अवसर पर ज़िला सचिवालय सभागार में कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसका शुभारंभ सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल ने संत कबीर दास के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके किया। इस मौक़े पर एलईडी के माध्यम से मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल जी के निवास पर आयोजित हुए कार्यक्रम का लाइव प्रसारण भी दिखाया गया।
इस अवसर पर सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल ने कहा कि संत कबीर आडम्बरों के सख्त विरोधी थे। उन्होंने लोगों को एकता के सूत्र का पाठ पढ़ाया। वे लेखक और कवि थे। उनके लिखे दोहे इंसान को जीवन की नई प्रेरणा देते हैं। कबीरदास जी के दोहों में लाइफ मैनेजमेंट के कई सूत्र छिपे हैं, जो आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। इन दोनों में छिपे जीवन प्रबंधन सूत्रों को अपने जीवन में उतारकर हम कई परेशानियों से बच सकते हैं।
डा. बनवारी लाल ने कहा कि संत शिरोमणि कबीर जी किसी एक जाति व सम्प्रदाय के नहीं थे, बल्कि वे सम्पूर्ण मानव जाति के पथ-प्रदर्शक थे। उनकी वाणी और शिक्षाएं अमर हैं और आज भी नवीन प्रतीत होती हैं।
उन्होंने ने कहा कि संत शिरोमणि कबीर भक्तिकाल के ऐसे कवि हैं, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज सुधार एवं समाज हित के कार्यों में लगा दिया। वे कर्म प्रधान कवि थे, इसका उल्लेख उनकी रचनाओं में देखने को मिलता है, आज की युवा पीढ़ी को संत कबीर दास, संत रविदास जैसे महापुरूषों के जीवन एवं शिक्षाओं से अवगत करवाने के लिए राज्य सरकार ने उनकी जयंतियां सरकारी तौर पर मनाने की अनूठी पहल की है। उन्होंने कहा संत-महात्माओं की उच्च-आदर्शों को अपने जीवन में उतारें ताकि समाज में वैमनस्य की भावना खत्म हो और समानता, प्रेम, प्यार और भाईचारे की बयार बहे।
एमएलए कोसली लक्षमण सिंह यादव ने इस अवसर पर संत कबीर दास जी के दोहे सुनाए और उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संत कबीर दास जी ने मध्यकालीन भारत के सामाजिक, धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन में अमूल्य योगदान दिया। उन्होंने पाखंड के खिलाफ अपनी आवाज उठाई और लोगों में भक्ति भाव का बीज बोया। उनके दोहों ने हमेशा उन्नति का मार्ग खोला है और बेहतर समाज के लिए सही ज्ञान दिया है। कबीर दास जी ने वर्षों पहले लाइफ मैनेजमेंट के जो रूल अपने दोहों के जरिए बताए, वो आज के दौर में भी उतने ही कारगर हैं, जितने उस वक्त थे। इन दोहों को अगर अपनी पर्सनल और प्रफेशनल लाइफ में उतारें तो सफलता आपके कदम चूमेगी।
डीसी यशेन्द्र सिंह ने कार्यक्रम में सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल का स्वागत करते हुए संत शिरोमणि कबीर दास के जीवन पर प्रकाश डाला।
संत शिरोमणि कबीर दास का दोहा, "बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय" हमारा व्यवहार हमें बताता है। इस दोहे में कहा गया है कि जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। पर जब मैंने अपने मन में झांककर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है। यानी हमें लोगों को परखने के बजाए खुद का आंकलन करना चाहिए। संत कबीर दास जी के दोहे आज भी पथ प्रदर्शक के रूप में प्रासंगिक है।
कार्यक्रम में कोविड-19 महामारी के नियमों का विशेष रुप से पालन किया गया।
इस अवसर पर एस डीएम रेवाड़ी रविंदर यादव, एस डी एम बावल संजीव कुमार,डी एस पी हंसराज, एसडीएम कोसली होशियार सिंह, ज़िला कल्याण अधिकारी दीपिका सारसर,तहसील कल्याण अधिकारी अनिल, महंत सुमरन दास, शिव कुमार , प्रीतम सिंह भरपूर, अनिल मोर, धर्म सिंह, डाबला, सुरेंद्र सोलंकी, रमेश मोरवाल, दयानंद आर्य, टीनू प्रधान, राकेश, lहरीश निरंकारी सहित अन्य गणमान्य लोग भी मौजूद रहे।