राजेंद्र सिंह जादौन
हरिद्वार कुंभ ने पहुंचे निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देव की कोरोना संक्रमण के बाद देहरादून के अस्पताल में निधन हो गया। इसी कुंभ में दो हजार से अधिक लोग संक्रमित पाए गए है। आखिर देश में दो लाख से अधिक कोरोंना मरीज रोजाना मिलने के बावजूद ना तो कुंभ रोका गया और ना ही पश्चिम बंगाल समेत पांच राज्यों के चुनाव ओर उनसे जुड़ी भीड़भाड़ वाली रैलियों को रोका गया। रोका गया है तो स्कूलों की परीक्षाओं को रोका गया है। परीक्षा न केवल स्थगित की गई बल्कि रद्द भी की गई। मानो कोरोना को सिर्फ पढ़ाई और परीक्षा से ही नफरत है। कुंभ और चुनावी रैलियों से घर लौट रहे लोग अपने छात्र बच्चो को कोरोना नही देंगे। यह सोच का विरोधाभास है। सभी काम जरूरी है और एक पढ़ाई ही गैर जरूरी है। जैसे ही सी बी एस ई ने परीक्षा रद्द और स्थगित की गई टीवी चैनलों को दी प्रतिक्रिया में अभिभावकों ने फैसले का स्वागत किया। फिर क्या था राज्यो के स्कूल शिक्षा बोर्डो ने भी सी बी एस ई की राह पर चलते हुए धड़ाधड़ अपने कक्षा दस के इम्तहान रद्द कर दिए और कक्षा बारह के स्थगित कर दिए। यह बहुत ही प्रतिगामी कदम है। भोजन और स्वास्थ्य तो नितांत जरूरी है पर इसके बाद शिक्षा की अनदेखी नहीं की जा सकती है। आज कोरॉना अगर पिछले साल से भी आगे बढ़ रहा हे तो इसका मतलब है कि कोरोना के साथ रहते हुए भी स्वास्थ्य रक्षा का गुर नही सीखा जा सका। करोना के वजूद में अपना काम करते रहने का फार्मूला अपनाया नही गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले साल ही कहा था कि कोरोना खत्म नही होगा बल्कि उसके साथ ही जीना पड़ेगा। इस विश्व स्वास्थ्य संस्था की राय को गंभीरता से नहीं लिया गया। अब कोरोना के नए रूप इस संस्था की चेतावनी को सही साबित कर रहे है। देश में वेक्सीन बनाई गई लेकिन विदेश भेजने की जल्दी में अपने देश की जरूरतों को अनदेखा किया गया। कोरोना की दवा रेमडेसिविर का निर्यात भी तब रोका गया जबकि देश में कोरोंना बेकाबू दिखाई दिया। पिछले साल भी वेंटीलेटर का निर्यात कोरोना गंभीर रूप लेने पर ही रोका गया। कोरोना के नए वेरिएंट और दूसरी लहर हमे आगाह कर रही है कि तीसरी और चौथी लहर भी आ सकती है। अस्पतालों को पुख्ता रखना होगा। समाज को कुपोषण मुक्त रखना होगा। अनाज को गोदाम में सड़ने के लिए छोड़ने के बजाय भले ही मुफ्त या सस्ते में दिया जाय जरूरत मंद को देना होगा। आखिर यह सब उत्पादन राष्ट्र के नागरिकों के जीवन सुख और स्वास्थ्य लिए है। वेक्सिन की ताकत से करोना को मात देने और इसे दूर रखने की जीवन प्रणाली में ढलने की जरूरत है। शारीरिक दूरी से अभिवादन और संवाद में फायदे ही फायदे है। बाजारों ओर सब्जी या अनाज मंडियों की भीड़ खत्म करना होगी। हर तरफ फासले और कम संख्या का साथ बनाना होगा। करोना के रहते हुए मजबूती से जीना सीखना होगा।