उर्दू अदब के महान शायर जनाब महेन्द्र प्रताप चांद के निधन पर गहरे दुख का इजहार किया है। हरियाणा सरकार एवं हरियाणा उर्दू अकादमी ने उन्हें दो वर्ष पूर्व ही अकादमी की ओर से ‘फख्रे हरियाणा’ के सम्मान से नवाजा गया था अकादमी अध्यक्ष एवं मुख्य मंत्री श्री मनोहर लाल, अकादमी के कार्यकारी उपाध्यक्ष श्री राजेश खुल्लर और निदेशक डॉ. चन्द्र त्रिखा ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके एजाज में एक शोक सभा का अहतमाम किया गया जिसमें सभी अधिकारी व कर्मचारी एवं अदीब शामिल हुए। उर्दू अकादमी के पूर्व सचिव श्री रमेंद्र जाखू ‘साहिल’ (रिटायर्ड आई.ए.एस.) और श्री माधव कौशिक, उपाध्यक्ष केन्द्रीय साहित्य अकादमी, नई दिल्ली ने भी तथा उन्होंने श्री महेन्द्र प्रताप ‘चाँद’ साहब की उपलब्धियों का भी विस्तार से जिक्र किया है और फरमाया कि श्री महेन्द्र प्रदाप ‘चाँद’ साहब की हैसियत हरियाणा उर्दू अकादमी के परिवार से वरिष्ठ सदस्य की मान्निद थी। उनकी उपस्थिति के बगैर हरियाणा उर्दू अकादमी का हर कार्यक्रम हरियाणा उर्दू अकादमी के लिए अधूरा होता था। अकादमी के अन्य स्टाफ ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और उनके साथ अपने निजी तालुकात का जिक्र किया। चाँद साहब की कुछ मुख्य रचनाए ‘उर्दू अदब और हरियाणा’, ‘हर्फ-ए-राज’, ‘जख्म आरजूओं के’, ‘उर्दू की सातवीं किताब’, ‘हाली पानीपती की गजलें’, ‘आजार-ए-गम-इश्क’, ‘हर्फ-ए-आशना’, ‘दूध की कीमत’, ‘उजालों के सफीर’, ‘निशात-ए-कलम’, ‘जाते हुए लम्हों’ उनकी खिदमात को नजर अन्दाज नहीं किया जा सकता। उनकी अदबी खिदमात की बदौलत उन्हें बहुत से पुरस्कार भी प्राप्त हुए जिनमें फख्रे हरियाणा अवार्ड, सय्यद मुजफ्फर हुसैन बर्नी अवार्ड के अलावा कई सरकारी व गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा एवार्डों से नवाजा गया था।