हरियाणा महासचिव महिला कांग्रेस की दीपा शर्मा ने रविवार को राज्यसभा में पास हुए कृषि बिलों को लेकर कहा कि देश के इतिहास में आज के दिन को काले दिन के रूप में गिना जाएगा। कृषि प्रधान भारत देश में अन्नदाता ओं के खिलाफ षड्यंत्र रच कर भाजपा सरकार ने हमारे देश की आत्मा पर प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि यह बिल कृषि क्षेत्र को पूंजीपतियों के हाथों में गिरवी रखने वाले हैं। या किसानों को गुलाम बनाने वाले बिल है। दीपा शर्मा ने कहा कि मंडी व्यवस्था ना होने का मतलब न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म होना है। छोटे किसान बाजार की प्रतिस्पर्धा में कैसे टिकेंगे। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का मतलब है कि पूंजीपति फसलों के लिए मूल्य निर्धारित करेंगे। यह हमारे देश के किसानों पर एक क्रूर हमला है कि नए कृषि कानून में न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी नहीं दी जा रही है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2006 में बिहार में मंडियों को खत्म कर दिया था जिस कारण बिहार में किसान की हालत बद से बदतर हो गई। वर्तमान भाजपा सरकार भारतीय इतिहास की पहली ऐसी सरकार है जो किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य का अधिकार छीनने के लिए यह बिल लाई है। ये बिल किसानों को बर्बाद करने वाले हैं। दीपा शर्मा ने कहा कि यह सरकार सिर्फ अपने कुछ चुनिंदा चहेते अपनी पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना चाहती है। पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में बहुमत का दुरुपयोग कर पास करवाए गए यह बिल अन्नदाता की आत्मा पर प्रहार है। उन्होंने कहा कि एक तरफ पूरे देश के किसान, मजदूर, आढ़ती इन बिलों के खिलाफ सड़कों पर थे वहीं दूसरी ओर सरकार द्वारा जल्दबाजी में लोकसभा और राज्यसभा में पास करवाए जाए या बिल भाजपा सरकार के किसान,मजदूर व आढ़तियों को खत्म करने के षड्यंत्र को उजागर करता है।