चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबड़े के खिलाफ ट्वीट्स को लेकर प्रशांत भूषण अवमानना केस में आज सुनवाई हुई. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने सजा नहीं देने की मांग की. इस सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशांत भूषण का ट्वीट अनुचित था. सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
सुनवाई के लाइव अपडेट्स यहां पढ़ें-
- इस सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि इनको क्षमा कर देना चाहिए. बार भी आपके इस कदम की तारीफ करेगा. इन्होंने कई अच्छे काम भी किए हैं. फूड सिक्योरिटी, मजदूरों के लिए, बुनियादी अधिकारों के लिए.
- इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लेकिन जब ये आप पर हमला करते हैं तब तो आप हमारे पास अवमानना की अर्जी लेकर आए ना!
-अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा- लेकिन फिर मैंने शिकायत वापस भी ली ना!
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लेकिन आपने तब वापस ली, जब इन्होंने अफसोस जताया. अब वो इधर कहें या उधर, लेकिन जब बुनियाद हिलाने का दुस्साहस कोई करे तो कुछ न कुछ करना होगा. इसके लिए उन्होंने अपना सच गढ़ा और उसकी ही आड़ ली. ये बहुत नकारात्मक है और कई मामलों में हतोत्साह करने वाला भी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अगर आप हमें ऐसा करने की सलाह दे रहे हैं और अगर ऐसा किया भी जाए तब भी ये हम पर ही इल्जाम धरेंगे. अटॉर्नी जनरल के रूप में आप ही विचार करें जो कुछ इन्होंने कहा है उस पर. इन्होंने जिन बुनियादी तथ्यों की बात कही है और ये जिनकी आड़ ले रहे हैं, हमारे बुनियादी तथ्य और सत्य इनसे अलग हैं. हमे इनके बयान दुर्भावना से भरे लग रहे हैं.
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि 2009 से लंबित भूषण के खिलाफ एक और मामला है, क्या उन्हें वहां सजा दी गई है? मुझे रिटायर होना है कुछ ही दिनों में और यह पीड़ादायक है कि मुझे इस सब से निपटना पड़ रहा है.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मीडिया कई बार लाइव रिपोर्टिंग करते हुए एकतरफा और गलत होता है, तो क्या हम उन सबको दंडित करते हैं? हमे अपने और इस महिमामाय संस्थान के बचाव का हक है. आपको भी हमारे फैसलों की आलोचना का पूरा हक है, लेकिन आप संस्थान पर कीचड़ नहीं उछाल सकते. अपनी सोच नहीं थोप सकते. व्यवस्था कब तक आपकी इस नकारात्मक सोच को सहन करेगी? गलती मानने में आपको दिक्कत क्या है? किसी से गलती हो गई तो मान लेने में कोई बुराई नहीं है. आप महात्मा गांधी की दुहाई तो खूब देते हैं पर क्षमा मांगने या गलती मानने से कतराते हैं.
- सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है