हरियाणा के सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने कहा कि सहकारी चीनी मिलों को घाटे से उभारने के लिए चीनी उत्पादन के साथ-साथ आने वाले पिराई सीजन में पायलट आधार पर पलवल और कैथल की सहकारी चीनी मिलों में गुड़ व शक्कर का उत्पादन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन दोनों चीनी मिलों में इस पायलट कार्य की सफलता के पश्चात राज्य की अन्य सहकारी चीनी मिलों में भी गुड़ व शक्कर के उत्पादन को शुरू किया जाएगा।
सहकारिता मंत्री ने यह जानकारी आज यहां सहकारी चीनी मिल, शाहबाद के अधिकारियों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि सहकारी चीनी मिलों में एथोनॉल के उत्पादन व बिजली के को-जेनरेशन की अधिक से अधिक संभावनाएं तलाशें ताकि चीनी मिलों को लाभ की स्थिति में लाया जा सकें और जिससे किसानों को भी फायदा होगा। इसके अलावा, उन्होंने शाहबाद में स्थापित किया जा रहा एथोनॉल प्लांट की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे इस प्लांट को स्थापित करने के कार्य में तेजी लाएं ताकि इस प्लांट को जल्द से जल्द चालू किया जा सके। डॉ. बनवारी लाल ने हरियाणा राज्य सहकारी चीनी मिल्ज प्रसंघ लि. के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि आने वाले पिराई सीजन में राज्य के सभी सहकारी चीनी मिलों को नवंबर के पहले सप्ताह में हर हालत में शुरू कर दिया जाए ताकि किसानों की उपज की पिराई समय से शुरू हो जाए क्योंकि मई माह शुरू होते ही गन्ने की फसल सुखने लग जाती है। उन्होंने कहा कि यदि समय से पिराई शुरू कर दी जाएगी तो मई माह तक पिराई का कार्य सम्पन्न कर लिया जाएगा।
बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि सहकारी चीनी मिलों को लाभ की स्थिति में लाने के लिए तकनीकी कमियों को दूर करने के साथ-साथ मानव कमियों को भी दूर किया जाना चाहिए जोकि बहुत ही आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जब तक हम कार्य परियोजना में रूचि नहीं दिखाएंगें तब तक हम घाटे से उभर नहीं सकते हैं। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि चीनी मिलों की मशीनरी की मरम्मत व रखरखाव पर उनके द्वारा लगातार निगरानी रखी जा रही है और यदि इसमें कोई खामी पाई जाएगी तो संबंधित दोषी अधिकारी व कर्मचारी को बक्शा नहीं जाएगा
बैठक के दौरान उन्होंने कहा कि हम सभी को आपस मिलकर घाटे में चल रही सहकारी चीनी मिलों को लाभ की स्थिति में लाना होगा क्योंकि किसी भी संस्था व संस्थान को लंबे समय तक घाटे में चलाया नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि यदि इसी प्रकार से चीनी मिलें घाटे में चलती रही तो आने वाले समय में चीनी मिलों को बंद करना पड़ सकता है और फिर इससे गन्ना किसानों को उनकी अपनी उपज को बेचने में दिक्कत होगी जोकि ठीक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हमें चाहिए कि हम सब चीनी मिलों को बढिय़ा व सही ढ़ंग से चलाएं ताकि आने वाले दिनों में सहकारी चीनी मिलें घाटे से उभर सकें।
वीडियो कान्फे्रंसिंग के दौरान उन्होंने कुरूक्षेत्र के किसानों से भी बातचीत की और उनके अनुभव जानें जिसमें विभिन्न किसानों ने बताया कि चीनी मिलों में गुड़ व शक्कर का उत्पादन किया जाए। इसके अलावा, किसानों ने बताया कि गन्ने की बहुत सी वैरायटी ऐसी होती है जिनसे अधिक से अधिक रिकवरी ली जा सकती है, उनकी बिजाई की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, विभाग के अधिकारियों को गांव-गांव जाकर किसानों को अच्छी वैरायटी की उपज व तकनीक के बारे में किसानों को जागरूक करना चाहिए। वहीं, गन्ने की समान दूरी पर बिजाई हो जिससे उपज बढेगी और कटाई में भी दिक्कत नहीं होगी, तो वहीं, चीनी मिलों के यार्ड को पक्का किया जाना चाहिए।
इस दौरान हरियाणा राज्य सहकारी चीनी मिल्ज प्रसंघ लि. के प्रबंध निदेशक श्री शक्ति सिंह ने कहा कि सहकारी चीनी मिलों में मशीनरी की गुणवत्ता के साथ-साथ उनके पुर्जों की अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए तथा इनको लगाते समय मैन्यूल कमियां नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य की समयाधि निर्धारित की जाए और इसकी अवधि अधिकतम सात दिन होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में रेड-रोट बीमारी गन्ने में आती है और यह बीमारी हरियाणा में न आएं इस ओर भी विभिन्न कदम उठाते हुए विभिन्न उपाय किए जाएं।
शाहबाद सहकारी चीनी मिल की प्रबंध निदेशक डा. किरण सिंह ने बताया कि चीनी मिल की मशीनरी व पुुर्जों की मरम्मत व रख-रखाव के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा जो मशीनरी व पुुर्जों की सही मरम्मत व रख-रखाव को सुनिश्चित करेगी। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि आने वाले पिराई सीजन में उनका लक्ष्य शाहबाद की सहकारी चीनी मिल से 11 प्रतिशत तक की रिकवरी करने का है।
इस मौके पर हरियाणा राज्य सहकारी चीनी मिल्ज प्रसंघ लि. के प्रबंध निदेशक श्री शक्ति सिंह और अन्य अधिकारियों के साथ-साथ कुरूक्षेत्र से शाहबाद सहकारी चीनी मिल के विभिन्न अधिकारी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।