COURTESY DAINIK BHASKAR NOV 15
कोई डॉक्टरी तो कोई जेई की नौकरी छोड़ मंत्री बना
जानिए... अपने मंत्रियों के राजनीति में आने से पहले के जीवन के बारे में
: अनिल विज : 1969 में एबीवीपी से जुड़े। 1974 में एसबीआई में कैशियर बने। 1990 में अम्बाला कैंट से पहली बार विधायक बने। 8 में से 6 चुनाव जीत चुके हैं।
: कंवरपाल गुर्जर : किसान परिवार से हैं। राजनीति में रूचि थी, इसलिए कॉलेज में दो बार प्रेजिडेंट रहे। 1991 में छछरौली से पहली बार चुनाव लड़ा। 2014 में जगाधरी से चुनाव जीतकर 13वीं विधानसभा के अध्यक्ष बने।
: मूलचंद शर्मा: स्कूल में सीआर बने थे और तभी से राजनीति में रुचि है। वे दूसरी बार बल्लभगढ़ से भाजपा के विधायक बने हैं।
: रणजीत सिंह : पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के बेटे हैं। पिता की सरकार में कृषि मंत्री रहे हैं। विवाद के कारण इनेलो से दूरी रखी। कांग्रेस में थे। वहां टिकट नहीं मिली तो निर्दलीय जीते।
: जयप्रकाश दलाल : सिंचाई विभाग में जेई थे। 1991 में हरियाणा विकास पार्टी के फाउंडर मेंबर रहे। चौ. बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह के खास थे। 2014 में भाजपा से चुनाव हार गए थे।
: बनवारी लाल : एमबीबीएस करके डाॅक्टरी की। राजनीति में रुचि थी, इसलिए वीआरएस लेकर बावल से चुनाव लड़ा। पिछली बार सरकार में राज्य मंत्री थे।
: ओम प्रकाश यादव : एडीओ पद से रिटायर होने के बाद राव इंद्रजीत राजनीति में लाए। वो 2 बार नारनौल से विधायक बने हैं।
: कमलेश ढांडा: पति नरसिंह ढांडा 2 बार मंत्री रहे हैं। 2009 को बीमारी के चलते उनका निधन हो गया। पति की मौत के बाद कमलेश ने उनकी राजनीतिक विरासत संभाली। इस बार कलायत से जयप्रकाश को हरा विधायक बनीं।
: अनूप धानक : हिसार से राजनीतिक विषय से बीए की। पुलिस में सिपाही पद पर चयन हुआ था, लेकिन राजनीति के चलते नौकरी नहीं की। 2014 में उकलाना से ही विधायक बने थे।
: संदीप सिंह: हॉकी टीम के कप्तान रहे। फ्लिकर सिंह के नाम से जाना जाता है। पिहोवा से जीत अब प्रदेश की खेल व्यवस्था देखेंगे