COURTESY NBT SEPT 21
आखिरकार सरकार ने उठाए साहसिक कदम
मंदी पर वार
कॉरपोरेट जगत को राहत
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को जो घोषणाएं कीं, उनसे सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था में नई स्फूर्ति आने की उम्मीद है। इन घोषणाओं का सकारात्मक असर तत्काल ही शेयर बाजार की जबर्दस्त तेजी के रूप में दिखाई पड़ा। गौरतलब है कि अब घरेलू कंपनियों और नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स में कमी की जाएगी। घरेलू कंपनियां अगर अन्य कोई छूट नहीं लेती हैं तो उन्हें सिर्फ 22 प्रतिशत टैक्स देना होगा। सरचार्ज और सेस मिलाकर प्रभावी टैक्स दर 25.17 प्रतिशत होगी। फिलहाल कॉरपोरेट टैक्स की दर 30 प्रतिशत है जबकि सेस और सरचार्ज मिलाकर कंपनियों को 34.94 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है। यानी नई दरों के मुताबिक कंपनियों की टैक्स देनदारी करीब 10 पर्सेंट तक घट जाएगी। इसी तरह एक अक्टूबर के बाद बनने वाली घरेलू मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए टैक्स की दर 15 फीसदी होगी। सरचार्ज और सेस मिलाकर प्रभावी टैक्स दर 17.01 प्रतिशत होगी। उन्हें भी अन्य कोई इन्सेंटिव नहीं मिलेगा। नई कंपनियों के लिए पहले टैक्स की दर 25 पर्सेंट थी जबकि सेस, सरचार्ज मिलाकर प्रभावी दर 29.12 प्रतिशत थी। यानी नई कंपनियों की टैक्स देनदारी 12 प्रतिशत घटेगी। शेयरों की बिक्री से कैपिटल गेन पर सरचार्ज बढ़ोतरी लागू नहीं होगी। जिन कंपनियों ने 5 जुलाई से पहले शेयर बायबैक की घोषणा की थी, उन पर भी टैक्स नहीं लगेगा। नई टैक्स दरें एक अप्रैल से प्रभावी मानी जाएंगी। इसके लिए सरकार अध्यादेश लाएगी। वित्त मंत्री ने कहा कि कॉर्पोरेट टैक्स की नई दरें दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे कम होंगी। निश्चय ही सरकार ने साहसिक कदम उठाए हैं, जिससे औद्योगिक परिदृश्य में भारी बदलाव आ सकता है। कंपनियों का टैक्स बचने से उन्हें काफी राहत मिलेगी। अब वे खर्चों में कटौती नहीं करेंगी जिसका सबसे पहले लाभ उनके कर्मचारियों को मिलेगा यानी छंटनी की आशंका अब नई रह जाएगी। नई नौकरियों के लिए भी गुंजाइश बनेगी। आम लोगों में रोजगार जाने का डर खत्म होने से वे खुलकर खर्च करेंगे। वैसे भी त्योहारी सीजन आ ही चला है। इस तरह बाजार में मांग पैदा होगी। लोग ज्यादा खरीदारी करेंगे तो जीएसटी कलेक्शन भी बढ़ेगा। यानी अभी टैक्स में कमी से सरकार पर 1.45 लाख करोड़ का जो भार आएगा उसकी जल्दी ही भरपाई भी हो जाएगी। कंपनियां टैक्स बचत के पैसे का इस्तेमाल मैन्युफैक्चरिंग, कर्ज चुकाने या निवेश के लिए करेंगी जिससे बैंकिंग सिस्टम और बाजार में नकदी बढ़ेगी। टैक्स घटने का फायदा सरकारी कंपनियों को भी होगा। इन कटौतियों से निवेश प्रोत्साहित होगा, भारतीय कंपनियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा कॉम्पिटिटिव बनेंगी। सबसे बड़ी बात है कि कॉरपोरेट जग