हरियाणा सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांटों को भी बढ़ावा दे रही है और सरकार ने इस वर्ष 110 प्राथमिक एवं 110 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा 9500 आंगनबाड़ी केन्द्रों में ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट स्थापित करने का निर्णय लिया है।
यह जानकारी आज शिमला में राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के बिजली तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रियों के एक सम्मेलन में हरियाणा के परिवहन एवं आवास मंत्री श्री कृष्ण लाल पंवार ने दी। इस मौके पर हरियाणा के नवीन एवं नवीकरणी ऊर्जा मंत्री डॉ. बनवारी लाल भी उपस्थित थे। सम्मेलन की अध्यक्षता केंद्रीय बिजली तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री आर.के. सिंह ने की। सम्मेलन में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर भी उपस्थित थे।
हरियाणा के परिवहन एवं आवास मंत्री श्री कृष्ण लाल पंवार ने बताया कि ऑफ ग्रिड सोलर पावर प्लांट स्थापित करने का कार्य प्रगति पर है। इन परियोजनाओं पर केन्द्रीय अनुदान हेतु प्रस्ताव मंत्रालय को भेजे गए हैं।
उन्होंने बताया कि रिन्यूएबल परचेज ऑब्लिगेशन (आर.पी.ओ.) की अनुपालना तथा पर्यावरण संबंधी समस्याओं का समाधान करने के लिए, राज्य सहमत प्लान के अनुसार उत्पादन के ऊर्जा तथा नवीकरणीय ऊर्जा के संसाधनों को भी बढ़ावा दे रहा है। आज कुल स्थापित क्षमता के नवीकरणीय ऊर्जा के संसाधन 292.40 मेगावाट हैं, जिसमें से 125.8 मेगावाट सौर ऊर्जा, 93.40 मेगावाट बगास/बॉयोमास तथा 73.2 मेगावाट लघु हाइड्रो के हैं। रेगुलेटर द्वारा निश्चित वित्त वर्ष 2021-22 तक वर्तमान आर.पी.ओ. 5.5 प्रतिशत है जिसमें 3 प्रतिशत सौर ऊर्जा तथा 2.5 प्रतिशत गैर सौर ऊर्जा है।
मंत्री ने बताया कि रेगुलेटर द्वारा वित्त वर्ष 2021-22 तक आर.पी.ओ. ऑब्लिगेशन बढ़ाकर 8त्न तक संशोधित किया जा रहा है। सौर ऊर्जा आर.पी.ओ. ऑब्लिगेशन पूरा करने के लिए, डिस्कॉमस 300 मेगावाट खरीदने के लिए टेंडर मांगेगी, सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एस.ई.सी.आई.) के माध्यम से 650 मेगावाट खरीदेगी, एच.पी.जी.सी.एल. अपने थर्मल प्लांट पर 133 मेगावाट स्थापित करेगा और हरेडा रूफटॉप के माध्यम से 1600 मेगावाट के प्लांटों को लगवाएगा। गैर-सौर ऊर्जा के लिए, एच.पी.पी.सी. ने 600 मेगावाट पवन ऊर्जा के लिए एस.ई.सी.आई. के साथ पी.एस.ए. हस्ताक्षरित किया है, एस.ई.सी.आई. से 400 मेगावाट पवन ऊर्जा खरीदने के लिए सहमति दी है तथा कुल 45.7 मेगावाट के लिए छोटे डिवेलपरों से प्रस्ताव विचाराधीन हैं।
उन्होंने बताया कि हरियाणा में 500 मेगावाट क्षमता के सोलर पार्क स्थापित करने के लिए हरियाणा राज्य औद्योगिक तथा ढांचागत विकास निगम (एचएसआईआईडीसी) तथा हरियाणा विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (एचपीजीसीएल) के बीच एक संयुक्त उद्यम कम्पनी (जेवी) बनाई गई है। राज्य की सोलर पॉलिसी के तहत, वर्ष 2022 तक भवनों की छतों पर 1600 मेगावाट का सोलर पावर प्लांट लगाने का लक्ष्य निश्चित किया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य में एक अन्य सौर ऊर्जा का कार्यक्रम सोलर पम्पों का कार्यक्रम है जिसके अन्तर्गत राज्य में वर्ष 2017-18 में 750 पम्प 90 प्रतिशत अनुदान के साथ स्थापित किये गए। वर्ष 2018-19 में 75 प्रतिशत अनुदान पर 2300 पम्पों की स्थापना का कार्य प्रगति पर है।
उन्होंने बताया कि राज्य में ऊर्जा संरक्षण कार्यक्रमों को नीतियों, विनियमों तथा प्रोत्साहनों की कार्यनीति के साथ चलाया जा रहा है। राज्य में 100 किलोवाट से अधिक भार भवनों के लिए एनर्जी ऑडिट अनिवार्य किया गया है। राज्य में व्यावसायिक भवनों के लिए ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ई.सी.बी.सी.) अनिवार्य की गई है। कृषि क्षेत्र में कम से कम चार स्टार वाले पम्पों का प्रयोग अनिवार्य किया गया है। राज्य सरकार ने सरकारी भवनों, उद्योगों/व्यावसायिक/शैक्षणिक भवनों के लिए एलईडी लाईटों के प्रयोग को अनिवार्य किया है। हाल ही में मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने निर्देश दिए हैं कि राज्य के सभी सरकारी भवनों में अकुशल लाइटों के स्थान पर 15.8.2018 तक एलईडी लाईटे स्थापित की जाये।
सम्मेलन में उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर हरियाणा सरकार का पक्ष भी रखा जिसके तहत कोल इंडिया लिमिटेड तथा इसकी सहायक कम्पनियों को, समझौते के अनुसार कोयला सप्लाई करने के लिए आवश्यक उपाए करने हेतु प्रोत्साहित/प्रभावित किया जाए। पर्याप्त कोल लिंकेज तथा हमारे उत्पादन परिसंपत्तियों के लिए धुले हुए कोयले सहित पर्याप्त अच्छी गुणवता के कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करना। अच्छी तथा गुणवतापरक इंजीनियरिंग खरीद तथा निर्माण (ईपीसी) ठेकेदारों का विकास। सैक्टर की वित्तीय वायबिलीटी हेतु बिजली कम्पनियों के लिए कम लागत पर पूंजी। कोयला मंत्रालय तथा सीआईएल को अपनी कोल वाशरीज लगाने के लिए कहा जाए। यदि आवश्यक हो, तो पॉवर यूटिलीटिज को भी खर्च सांझा करने के लिए कहा जा सकता है।
इसी प्रकार, हरियाणा पावर प्लांटों को एनसीएल से 23 लाख एमटी कोयला उपलब्ध करवाने के लिए कोयला मंत्रालय और सीआईएल को कहा जाए। अल्टरनेट डिसप्यूट रेजोलुशन मेकैनिज्म (एडीआरएम) की कारगार भूमिका निभाना, एडीआरएम के निर्णयों का पालन करते हुए कोल कम्पनियों को प्रभावित करना आवश्यक है ताकि अधिक समय से लम्बित पड़े विवादों को समयबद्ध ढंग से निपटाया जा सके। इससे कोयले की लेंडिड कोस्ट में कमी करने में भी सहायता मिलेगी जिससे उत्पादन लागत में कमी आएगी। स्मार्ट ग्रिड गुरूग्राम प्रोजेक्ट के लिए पीएसडीएफ फंडिंग एजेंसी से अभी तक 273 करोड़ रूपए का लोन स्वीकृत हो चुका है,
उन्होंने सम्मेलन में कहा कि हम सब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘‘सभी को 24 घंटे बिजली’उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण को पूरा करने में समर्थ होंगे।