COURSTY NBTFEB 23
चिकन खाना क्यों बन रहा है जानलेवा/
बढ़ती मांग के साथ एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल बढ़ा
Suresh.Upadhyay@timesgroup.com
नई दिल्ली : पिछले दो दशकों के दौरान देश में नॉनवेज और खासकर चिकन के शौकीनों की तादाद में तेजी से इजाफा हुआ है। महानगरों से लेकर छोटे शहरों-कस्बों तक में इस शौक के पैर पसारने का नतीजा है कि देश में चिकन की मांग में भारी इजाफा हुआ है और सप्लाई बढ़ाने का दबाव बढ़ा है। इस बढ़ते दबाव के कारण चिकन को तेजी से बड़ा करने और उसे बीमारियों से बचाने के लिए पोल्ट्री फार्म्स में मुर्गियों को एंटीबायोटिक्स दिए जाने लगे हैं। मुर्गियों को अंधाधुंध तरीके से एंटीबायोटिक्स दिए जाने के कारण यह इंसानों के शरीर में भी तेजी से पैर पसार रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि बहुत से एंटीबायोटिक्स के प्रति बैक्टीरिया और वायरस में प्रतिरोध बढ़ रहा है और ये कई केसेज में बेअसर साबित हो रहे हैं। यह स्थिति गंभीर मामलों में जानलेवा भी साबित हो सकती है। इसके साथ ही शरीर में बेवजह एंटीबायोटिक्स के पहुंचने से इनके साइड इफेक्ट्स भी लोगों को झेलने पड़ रहे हैं। सेंटर फॉर साइंस ऐंड एनवारनमेंट ने एक स्टडी में कहा है कि भारत में चिकन में एंटीबायोटिक्स की मात्रा बेहद ज्यादा है और यह इंसानी सेहत के लिए खतरनाक है।
यह स्थिति क्यों बनी : विशेषज्ञों का कहना है कि मुर्गी पालकों को यह भ्रम है कि चिकन को दाने के साथ एंटीबायोटिक्स खिलाने से उनकी ग्रोथ तेज होगी। उनका कहना है कि एंटीबायोटिक्स किसी प्राणी को बीमारी होने पर दिए जाते हैं, न कि रोग से बचाव या ग्रोथ के लिए। बेवजह दवाएं देने से उस प्राणी पर तो इनका दुष्प्रभाव पड़ता ही है, उसे खाने वाले इंसान के शरीर में भी बिना जरूरत के दवाएं पहुंच जाती हैं। साइंस मैगजीन में प्रकाशित सेंटर फॉर डिसीज डायनामिक्स, इकनॉमिक्स एंड पॉलिसी की एक रिपोर्ट बयां करती है कि एंटीबायोटिक्स के मनमाने इस्तेमाल से पूरी दुनिया में स्वास्थ्य संकट पैदा हो सकता है। जहां तक चिकन या अन्य मीट में एंटीबायोटिक्स की मौजूदगी का सवाल है, दुनिया के तकरीबन हर देश में यह समस्या है। कई देशों में इस बाबत रेगुलेशन हैं लेकिन भारत में ऐसा नहीं है।
चिंता बढ़ने की वजह यह : भारत में इस समय पोल्ट्री और मीट के लिए पाले जाने वाले पशुओं को हर साल करीब 2700 टन एंटीबायोटिक्स खिलाए जा रहे हैं। स्टडी में कहा गया है कि इस पर रोक नहीं लगाई गई तो 2030 तक इस मात्रा में 82 प्रतिशत तक का इजाफा होने की आशंका है। भारत मुर्गियों और मीट के लिए पाले जाने वाले पशुओं को एंटीबायोटिक्स खिलाने के मामले में दुनिया में चौथे नंबर पर है। स्टडी में कहा गया है कि अकेले पंजाब में कम से कम दो तिहाई पोल्ट्री फार्म्स ऐसे हैं, जहां चिकन को बड़ा करने के लिए एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं। इन पोल्ट्री फार्म्स में ऐसे बैक्टीरिया, वायरस मिले हैं, जिन पर दवाओं का असर नहीं होता।